क्या मुंबई मेट्रो 3 के वर्ली स्टेशन से ‘नेहरू’ नाम हटाना सही है?

सारांश
Key Takeaways
- विवाद: वर्ली स्टेशन से ‘नेहरू’ नाम हटाना।
- संगठन: कांग्रेस का आरोप भाजपा पर।
- प्रतिक्रिया: सरकार का खंडन।
- आंदोलन: कांग्रेस की चेतावनी।
- राजनीतिक दृष्टिकोण: दोनों पक्षों के तर्क।
मुंबई, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मुंबई मेट्रो 3 के वर्ली स्टेशन से ‘नेहरू’ नाम को हटाने का मामला और भी तूल पकड़ता जा रहा है।
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर हमला करते हुए इसे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की याद का अपमान बताया है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा ने जानबूझकर ‘नेहरू’ नाम हटा कर स्टेशन का नाम केवल ‘साइंस सेंटर’ रखा है, क्योंकि उन्हें ‘नेहरू’ नाम से परहेज़ है।
कांग्रेस का कहना है कि वर्ली का यह क्षेत्र लंबे समय से ‘नेहरू साइंस सेंटर’ के नाम से जाना जाता रहा है। यहाँ तक कि मुंबई मेट्रो 3 के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर ‘डिस्कवरी हब्स’ की सूची में भी इसे ‘नेहरू साइंस सेंटर’ ही कहा गया है। पार्टी ने इसे पंडित नेहरू के योगदान को मिटाने की साजिश करार दिया और चेतावनी दी कि अगर स्टेशन का नाम ‘नेहरू साइंस सेंटर’ नहीं रखा गया तो वे आंदोलन शुरू करेंगे।
हालांकि, सरकार ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि मेट्रो परियोजना का प्रस्ताव जब पूर्व कांग्रेस सरकार ने पेश किया था, तब से इस स्टेशन का नाम ‘साइंस सेंटर’ रखा गया था। सरकार ने स्पष्ट किया कि इस मामले में कोई राजनीति नहीं की गई है और कांग्रेस को इस मुद्दे को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए।
यह विवाद तब और बढ़ गया जब कांग्रेस ने इसे भारत रत्न पंडित नेहरू की विरासत के साथ छेड़छाड़ का मामला बताया। पार्टी का कहना है कि यह कदम न केवल आपत्तिजनक है, बल्कि देश के स्वतंत्रता संग्राम और विकास में नेहरू के योगदान को कमतर करने की कोशिश है। दूसरी ओर, सरकार का तर्क है कि यह निर्णय प्रशासनिक है और इसका कोई राजनीतिक मकसद नहीं है। इस मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।