क्या मुस्लिम घुसपैठिए भारत में आएंगे तो उन्हें वापस भेजा जाएगा? : केशव प्रसाद मौर्य
सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर का उद्देश्य घुसपैठियों को हटाना है।
- उपमुख्यमंत्री ने घुसपैठियों को वापस भेजने का आश्वासन दिया है।
- राजनीतिक बयानों का चुनावी राजनीति पर प्रभाव होता है।
- फर्जी बीएलओ की समस्या पर ध्यान देने की जरूरत है।
- उचित जानकारी के बिना निर्णय लेना मुश्किल है।
गोरखपुर, २४ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी के बयान ने सियासत में हलचल मचा दी है। इरफान अंसारी ने एक जनसभा में कहा कि एसआईआर के माध्यम से विपक्ष के लोगों के नाम मतदाता सूची से काटे जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि बीएलओ घर आए तो उसे बंधक बनाने की बात कही। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि इस प्रकार की बातें करने वाले दल और नेता शायद एसआईआर की वास्तविकता को समझने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। हम एसआईआर का स्वागत करते हैं।
उन्होंने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान के दृष्टिकोण से एसआईआर हो रहा है। यदि ऐसा नहीं होगा, तो पोल बूथ पर कब्जा करने वाले, बूथ को लूटने वाले और फर्जी मतदान करने वाले घुसपैठियों को सूची से हटाना अधूरा रह जाएगा। यह एक सकारात्मक कदम है। सभी को एसआईआर का फॉर्म भरना चाहिए। मृतक लोगों के नाम हटाना चाहिए और जो योग्य हैं, उनके नाम जोड़ने चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि जिनका एक से अधिक स्थानों पर नाम है, उन्हें केवल एक स्थान पर होना चाहिए। यदि किसी घुसपैठिए का नाम मतदाता सूची में है, तो उसे हटाया जाना चाहिए।
वहीं, घुसपैठियों को डिटेंशन सेंटर में रखने के सीएम योगी के बयान पर उन्होंने कहा कि भारत और उत्तर प्रदेश धर्मशाला नहीं है। पाकिस्तान, बांग्लादेश के सिख, ईसाई, हिंदू, बौद्धों के लिए पहले से कानून बन चुका है। उन्हें पनाह दी जाएगी, लेकिन यदि कोई बांग्लादेश का मुस्लिम घुसपैठिया भारत में आता है, तो उसे खोजकर वापस भेजा जाएगा।
दूसरी ओर, इरफान अंसारी ने अपने बयान पर उठे विवाद पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल फर्जी बीएलओ के बारे में बात की थी, जिसे भाजपा ने तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। मंत्री ने स्पष्ट किया कि उन्होंने केवल यह कहा था कि कुछ फर्जी लोग नकली बीएलओ बनकर ग्रामीणों को डराने और पैसे वसूलने की कोशिश कर रहे थे। ग्रामीणों ने शिकायत की थी कि कुछ संदिग्ध लोग 'नाम काटने' का डर दिखाकर पैसे मांग रहे थे। ऐसी कई शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जिन्हें मैंने जामताड़ा उपायुक्त के संज्ञान में दिया था और इस पर विशेष निगरानी रखने का अनुरोध किया था।