क्या एमवी श्रीधर एक शानदार बल्लेबाज थे, जिन्हें भारतीय क्रिकेट टीम में जगह नहीं मिली?

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क्या एमवी श्रीधर एक शानदार बल्लेबाज थे, जिन्हें भारतीय क्रिकेट टीम में जगह नहीं मिली?

सारांश

एमवी श्रीधर एक प्रतिभाशाली क्रिकेटर थे, जिन्होंने रणजी ट्रॉफी में अद्वितीय रिकॉर्ड स्थापित किए। उनके जीवन और करियर की यात्रा में सफलता के बावजूद, वह राष्ट्रीय टीम में कभी जगह नहीं बना सके। जानिए उनके योगदान और उपलब्धियों के बारे में।

Key Takeaways

  • एमवी श्रीधर ने 21 प्रथम श्रेणी शतक बनाए।
  • उनकी 366 रनों की पारी रणजी ट्रॉफी में तीसरे सबसे बड़े स्कोर के रूप में जानी जाती है।
  • उन्होंने क्रिकेट के साथ-साथ चिकित्सा में भी उत्कृष्टता हासिल की।
  • श्रीधर ने 'मंकीगेट' विवाद को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • उनका पूरा परिवार क्रिकेट का प्रेमी था।

नई दिल्ली, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। क्रिकेट में करियर बनाने का सपना देखने वाले हर युवा खिलाड़ी की इच्छा होती है कि वह एक दिन अपने देश का प्रतिनिधित्व करे। जबकि कुछ को सफलता मिलती है, तो कुछ को निराशा का सामना करना पड़ता है। कई खिलाड़ी रणजी स्तर तक पहुँचते हैं, लेकिन उसके बाद राष्ट्रीय टीम तक पहुंचना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। ऐसे कई प्रथम श्रेणी क्रिकेटर हैं, जिन्हें कभी राष्ट्रीय टीम में स्थान नहीं मिला। एम.वी. श्रीधर भी एक ऐसे ही क्रिकेटर थे।

एक कुशल दाएं हाथ के बल्लेबाज के रूप में, श्रीधर ने 1988-89 से 1999-2000 के बीच अपने करियर में 21 प्रथम श्रेणी शतक बनाए। वह हैदराबाद के उन तीन बल्लेबाजों में से एक थे, जिन्होंने प्रथम श्रेणी में तिहरा शतक लगाया था, अन्य दो वीवीएस लक्ष्मण और अब्दुल अजीम थे।

1994 में आंध्र प्रदेश के खिलाफ उनकी 366 रनों की पारी, रणजी ट्रॉफी में तीसरा सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर है, जो भाऊसाहेब निंबालकर के नाबाद 443 और संजय मांजरेकर के 377 रनों के बाद दूसरा सबसे बड़ा स्कोर है। उस पारी के दौरान उन्होंने एक ऐसा अद्वितीय रिकॉर्ड बनाया जो आज भी कायम है। जब वह क्रीज पर थे, तब हैदराबाद ने 850 रन बनाए (वह 30 रन पर 1 विकेट पर आए और 880 रन पर 5 विकेट पर आउट हुए), जो किसी भी बल्लेबाज द्वारा क्रीज पर रहते हुए किसी टीम द्वारा बनाए गए अधिकतम रन हैं।

क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद श्रीधर ने विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया। उन्होंने हैदराबाद क्रिकेट के सचिव के रूप में भी कार्य किया।

एम.वी. श्रीधर भारतीय टीम के मैनेजर भी रहे। वर्ष 2008 में, जब भारत की टेस्ट टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर थी, तब उन्होंने विवादास्पद 'मंकीगेट' विवाद का समाधान किया। इस मामले में उनका महत्वपूर्ण योगदान था, जिससे हरभजन को न केवल सजा से राहत मिली, बल्कि भारतीय टीम की नैतिक जीत भी हुई।

श्रीधर का पूरा परिवार क्रिकेट का प्रेमी था और उन्होंने छोटी उम्र से ही क्रिकेट में रुचि दिखाई। बहुत कम लोग जानते हैं कि वह एक योग्य डॉक्टर भी थे और उन्होंने हैदराबाद के उस्मानिया मेडिकल कॉलेज से मेडिसिन की पढ़ाई की थी। इसीलिए उन्हें डॉ. श्रीधर के नाम से भी जाना जाता था। क्रिकेट और चिकित्सा की पढ़ाई को संतुलित करना उनके लिए चुनौतीपूर्ण था, लेकिन उन्होंने दोनों क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल की।

क्रिकेट के अलावा, श्रीधर को नृत्य और संगीत में भी रुचि थी। वे कॉलेज में नाटकों का मंचन और स्क्रिप्ट लेखन भी करते थे।

वर्ष 2017 में 51 वर्षीय श्रीधर को अपने घर पर दिल का दौरा पड़ा। जल्द ही उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटी और एक बेटा है। वह एक ऐसे क्रिकेटर रहे जिन्होंने अपनी बल्लेबाजी का लोहा मनवाया, लेकिन सर्वोच्च स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व नहीं कर सके।

Point of View

जिन्होंने अपने स्तर पर अद्वितीय योगदान दिया। हमें ऐसे खिलाड़ियों के संघर्ष और उपलब्धियों को मान्यता देनी चाहिए।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

एमवी श्रीधर ने कब से कब तक क्रिकेट खेला?
एमवी श्रीधर ने 1988-89 से 1999-2000 तक क्रिकेट खेला।
श्रीधर की सबसे बड़ी पारी कौन सी थी?
श्रीधर की सबसे बड़ी पारी 366 रनों की थी, जो उन्होंने आंध्र प्रदेश के खिलाफ खेली थी।
श्रीधर को किस विवाद में शामिल किया गया था?
श्रीधर ने 2008 में 'मंकीगेट' विवाद को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
क्या एमवी श्रीधर डॉक्टर भी थे?
हाँ, श्रीधर एक योग्य डॉक्टर थे और उन्होंने उस्मानिया मेडिकल कॉलेज से मेडिसिन की पढ़ाई की थी।
श्रीधर का योगदान क्रिकेट में क्या था?
श्रीधर ने रणजी ट्रॉफी में कई रिकॉर्ड बनाए और हैदराबाद क्रिकेट के सचिव भी रहे।