क्या नागालैंड विश्वविद्यालय के डीन चितरंजन देब पर सीबीआई ने भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया?

सारांश
Key Takeaways
- नागालैंड यूनिवर्सिटी के डीन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।
- सीबीआई ने महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए हैं।
- भ्रष्टाचार से संबंधित कंपनियों की भी जांच की जा रही है।
- देश में उच्च शिक्षा में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
- समाज में पारदर्शिता और न्याय की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 15 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने नागालैंड यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ साइंसेज के डीन चितरंजन देब के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज की है। 12 जुलाई को सीबीआई ने तीन अलग-अलग राज्यों में छापेमारी की थी। इस कार्रवाई में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए थे। वर्तमान में, आगे की कार्रवाई करते हुए, सीबीआई ने नागालैंड विश्वविद्यालय के डीन पर मुकदमा दायर कर दिया है।
नागालैंड विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के डीन और वरिष्ठ प्रोफेसर पर भ्रष्टाचार के साथ-साथ अवैध गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप लगाए गए हैं। चितरंजन देब के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया है और इसकी जांच सीबीआई और एसीबी, गुवाहाटी को सौंपी गई है।
सीबीआई के अनुसार, उन्होंने वैज्ञानिक उपकरणों और अन्य सामग्रियों की आपूर्ति के लिए रिश्वत लेकर पक्षपाती ढंग से कुछ आदेश दिए थे। इससे संबंधित कंपनियों को अनुचित लाभ मिला। सीबीआई का कहना है कि इससे नागालैंड विश्वविद्यालय को जानबूझकर आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया।
एक सूचना के अनुसार, कुछ विक्रेताओं ने चितरंजन देब को एटीएम और बैंक खातों के माध्यम से रिश्वत
सीबीआई के अनुसार, एक मुखबिर से मिली जानकारी में बताया गया कि चितरंजन देब ने कई बार असम के जोरहाट स्थित रविंद्र कुमार जैन से 5 लाख रुपए की आपूर्ति के आदेश और 23 लाख रुपए की नई सामग्रियों की आपूर्ति के एवज में रिश्वत मांगी थी। इसके अतिरिक्त, आरोपी प्रोफेसर देब ने जोरहाट की एक अन्य कंपनी से भी यूपीएस बैटरी व अन्य सामग्रियों की आपूर्ति में अनुकूलता दिखाने के बदले रिश्वत मांगी थी।
इस सिलसिले में 12 जुलाई और उसके बाद की अलग-अलग तारीखों को, सीबीआई ने जोरहाट (असम), लुमामी (नागालैंड) और अगरतला (त्रिपुरा) समेत विभिन्न स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया। छापेमारी में आरोपी और संबंधित कंपनियों के कार्यालयों से रिश्वत