क्या नागपुर सीबीआई कोर्ट का यह फैसला रिश्वतखोरी के खिलाफ बड़ा कदम है?

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क्या नागपुर सीबीआई कोर्ट का यह फैसला रिश्वतखोरी के खिलाफ बड़ा कदम है?

सारांश

नागपुर सीबीआई कोर्ट ने रिश्वतखोरी के मामले में दो अधिकारियों को दोषी ठहराया। यह फैसला सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश है। जानिए इस मामले की सम्पूर्ण जानकारी और उसके पीछे की कहानी।

Key Takeaways

  • भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई
  • सीबीआई की प्रभावशीलता
  • न्यायिक प्रक्रिया का महत्व
  • सरकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी
  • भ्रष्टाचार के खिलाफ जन जागरूकता

नागपुर, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कोर्ट, नागपुर ने रिश्वतखोरी के एक प्राचीन मामले में महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए ऑर्डनेंस फैक्ट्री, नागपुर के दो सरकारी अधिकारियों को दोषी ठहराया। कोर्ट ने संयुक्त महाप्रबंधक सलीलकांत सनतकुमार तिवारी और कनिष्ठ कार्य प्रबंधक विनीत यादवराव सोरते को 5 साल के कठोर कारावास की सजा और प्रत्येक पर 1.5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।

यह मामला 2 जनवरी 2012 को प्रकाश में आया था, जब सीबीआई ने एक शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया। आरोप था कि दोनों अधिकारियों ने शिकायतकर्ता की फर्म का 90,000 रुपए का बकाया भुगतान जारी करने और आगे सामान सप्लाई जारी रखने के बदले 50 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी। इसी संदर्भ में उन्होंने शिकायतकर्ता से 22,000 रुपए की अवैध राशि स्वीकार की थी।

सीबीआई ने 3 जनवरी 2012 को एक ट्रैप ऑपरेशन के दौरान दोनों आरोपियों को 22,000 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया था। जांच के बाद एजेंसी ने 17 अक्टूबर 2012 को इस मामले में चार्जशीट दाखिल की।

लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद, अदालत ने सभी सबूतों और गवाहियों पर विचार करते हुए दोनों अधिकारियों को दोषी पाया और विजिलेंस कानूनों के तहत कठोर सजा सुनाई। यह फैसला सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

इससे पहले, सीबीआई की अहमदाबाद स्थित विशेष अदालत ने शनिवार को ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, राजकोट के पूर्व सीनियर डिविजनल मैनेजर महेंद्र ए. लूनकर को रिश्वत लेने के मामले में दोषी करार देते हुए तीन साल की सख्त कैद और एक लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी।

इसके अलावा, एक अन्य मामले में, सीबीआई की कोर्ट ने पंजाब के साहिबजादा अजीत सिंह नगर में 7.8 करोड़ रुपए के बैंक फ्रॉड मामले में सात आरोपियों को दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी।

मामले के मुख्य आरोपियों मनीष जैन और रमेश कुमार जैन को तीन साल की कठोर कारावास और प्रत्येक पर 35,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया, जबकि अन्य आरोपियों रचना जैन, भूपिंदर सिंह, प्रतीपाल सिंह, संजीव कुमार जैन और अनीता जैन को तीन साल की जेल की सजा और प्रत्येक पर 15,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया।

Point of View

NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

नागपुर सीबीआई कोर्ट का फैसला क्या था?
नागपुर सीबीआई कोर्ट ने दो अधिकारियों को रिश्वतखोरी के मामले में दोषी करार दिया और उन्हें 5 साल की सजा सुनाई।
क्या आरोपी अधिकारियों पर जुर्माना लगाया गया?
हाँ, प्रत्येक अधिकारी पर 1.5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
यह मामला कब शुरू हुआ था?
यह मामला 2 जनवरी 2012 को शुरू हुआ था।
सीबीआई ने आरोपियों को कब गिरफ्तार किया?
सीबीआई ने 3 जनवरी 2012 को दोनों आरोपियों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया।
इस फैसले का महत्व क्या है?
यह फैसला सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण संदेश है।
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