क्या नालंदा संपूर्ण सभ्यता का प्रतिनिधित्व करता है? - गजेंद्र सिंह शेखावत

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क्या नालंदा संपूर्ण सभ्यता का प्रतिनिधित्व करता है? - गजेंद्र सिंह शेखावत

सारांश

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने नालंदा विश्वविद्यालय में कहा कि नालंदा एक संपूर्ण सभ्यता का प्रतीक है। उन्होंने इसकी वैश्विक पहचान की सराहना की और छात्रों से विकसित भारत के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।

Key Takeaways

  • नालंदा विश्वविद्यालय का महत्व केवल शैक्षणिक दृष्टिकोण से नहीं है।
  • यह संस्कृति और ज्ञान का प्रतीक है।
  • केंद्रीय मंत्री ने छात्रों को विकसित भारत के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।

राजगीर, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गुरुवार को बिहार के राजगीर में स्थित नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि नालंदा किसी एक शहर या क्षेत्र का प्रतिनिधित्व नहीं करता, बल्कि यह एक संपूर्ण सभ्यता का प्रतीक है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह ज्ञान का प्रकाशस्तंभ था, जो ज्ञान के साधकों के लिए एक आश्रय स्थल और विभिन्न संस्कृतियों के संगम का केंद्र था। नालंदा के मिट्टी, पत्थर और हर कोना उस प्राचीन परंपरा की जीवंतता से गूंजता है।

विश्वविद्यालय पहुंचने पर कुलपति सचिन चतुर्वेदी ने केंद्रीय मंत्री का स्वागत किया। शेखावत ने अपने संबोधन में नालंदा विश्वविद्यालय की बढ़ती वैश्विक पहचान की सराहना की और कहा कि यह विश्वविद्यालय विश्व स्तर पर शिक्षा और अनुसंधान के माध्यम से भारत की समृद्ध सभ्यता और सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

मंत्री ने छात्रों और शोधकर्ताओं के साथ संवाद किया और सांस्कृतिक विरासत, समकालीन वैश्विक चुनौतियों और नालंदा विश्वविद्यालय की भविष्योन्मुखी शिक्षा में भूमिका पर चर्चा की। विश्वविद्यालय की सहभागिता पहल के तहत स्थानीय गांवों के स्कूलों के शिक्षक और छात्र भी उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय ने उन्हें बताया कि लाइब्रेरी को किताबों से समृद्ध करने और छात्रों के लिए बेहतर सुविधाएं जुटाने के लिए क्या-क्या प्रयास किए जा रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि भारतीय ज्ञान-परंपराओं के ग्रंथों को आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से लाइब्रेरी के ज्ञान-भंडार को हर छात्र तक आसानी से और प्रभावी ढंग से पहुंचाना बहुत जरूरी है।

कुलपति चतुर्वेदी ने कहा, "संस्कृति मंत्रालय की 'ज्ञान भारतम' मिशन पाण्डुलिपि पर आधारित ज्ञान के ऐतिहासिक भंडार में नई ऊर्जा का संचार कर रही है। हमारा नालंदा इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास कर रहा है ताकि अपने प्राचीन पुस्तकालय को डिजिटल युग में पुनर्जीवित किया जा सके, जिससे विश्वविद्यालय की अंतर-सांस्कृतिक संवाद और समन्वय की भावना को नया विस्तार मिले।"

केंद्रीय मंत्री शेखawat ने नालंदा विश्वविद्यालय के छात्रों से कहा कि उनके लिए गर्व की बात है कि वे उस महान विद्यापीठ का हिस्सा हैं, जिसकी ज्ञान की परंपरा हजारों सालों से पूरी दुनिया को रोशनी देती आ रही है। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे अपने ज्ञान, समर्पण और मेहनत के दम पर विकसित भारत के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएं।

Point of View

बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी है। गजेंद्र सिंह शेखावत के विचारों से यह स्पष्ट होता है कि नालंदा भारत की समृद्धि और ज्ञान की परंपरा का प्रतीक है। यह विश्वविद्यालय आज भी वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति को प्रमोट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
NationPress
27/11/2025

Frequently Asked Questions

नालंदा विश्वविद्यालय का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन काल में एक प्रमुख शैक्षणिक केंद्र था, जहाँ हजारों छात्र विभिन्न विषयों में अध्ययन करते थे।
गजेंद्र सिंह शेखावत ने नालंदा के बारे में क्या कहा?
उन्होंने कहा कि नालंदा एक संपूर्ण सभ्यता का प्रतिनिधित्व करता है और ज्ञान का प्रकाशस्तंभ है।
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