क्या राजनीतिक दलों को एमसीएमसी से पूर्व-प्रमाणित कराने होंगे विज्ञापन?

सारांश
Key Takeaways
- एमसीएमसी से प्रमाणन लेना अनिवार्य होगा।
- राजनीतिक विज्ञापनों पर सख्ती बढ़ेगी।
- फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स के विरुद्ध कार्रवाई होगी।
- सभी दलों को समान नियमों का पालन करना होगा।
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 और अन्य राज्यों के उपचुनावों को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। आयोग ने सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अब से वे किसी भी सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक विज्ञापन तभी जारी कर सकेंगे, जब उन्हें संबंधित मीडिया प्रमाणन और अनुरीक्षण समिति (एमसीएमसी) से पूर्व-प्रमाणन प्राप्त हो जाए।
आयोग ने यह भी बताया कि यह निर्णय 6 अक्टूबर को घोषित हुए बिहार विधानसभा चुनावों और 6 राज्यों तथा जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र के 8 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनावों को ध्यान में रखकर लिया गया है।
आयोग द्वारा जारी प्रेस नोट में बताया गया है कि 9 अक्टूबर को दिए गए आदेश के अनुसार, सभी राष्ट्रीय, राज्यीय और पंजीकृत राजनीतिक दलों तथा चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवारों के लिए यह प्रक्रिया अनिवार्य होगी। बिना प्रमाणन के किसी भी इंटरनेट आधारित प्लेटफॉर्म (जिसमें सोशल मीडिया वेबसाइटें भी शामिल हैं) पर कोई भी राजनीतिक विज्ञापन प्रकाशित नहीं किया जा सकेगा।
इसके लिए देशभर में जिला और राज्य स्तर पर एमसीएमसी समिति का गठन किया गया है, जो विज्ञापनों के सत्यापन और प्रमाणन की जिम्मेदारी निभाएंगी। साथ ही, ये समितियां मीडिया में चलने वाली पेड न्यूज जैसी संदिग्ध गतिविधियों पर भी सख्त निगरानी रखेंगी और आवश्यक कार्रवाई करेंगी।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि अब से उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करते समय अपने सभी प्रामाणिक सोशल मीडिया अकाउंट्स का विवरण देना अनिवार्य होगा। इसका उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना और फर्जी या भ्रामक अकाउंट्स के माध्यम से प्रचार को रोकना है।
भारत निर्वाचन आयोग ने यह भी कहा कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77(1) और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, सभी राजनीतिक दलों को विधानसभा चुनाव समाप्त होने के 75 दिनों के भीतर अपने सोशल मीडिया प्रचार व्यय का विस्तृत विवरण आयोग को प्रस्तुत करना होगा।
इसमें इंटरनेट कंपनियों, वेबसाइटों और कंटेंट क्रिएटर्स को किए गए भुगतानों, सामग्री के प्रसार तथा सोशल मीडिया अकाउंट्स के संचालन में होने वाले खर्च को भी शामिल किया जाएगा।