क्या नरी सेमरी सिद्धपीठ में मां कात्यायनी की ज्योति चादर के आर-पार जलती है?

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क्या नरी सेमरी सिद्धपीठ में मां कात्यायनी की ज्योति चादर के आर-पार जलती है?

सारांश

नरी सेमरी सिद्धपीठ में मां कात्यायनी की अनोखी आरती की प्रथा है, जो श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचती है। जानिए कैसे यहां पूजा विधियां और चमत्कार भक्तों की आस्था को प्रगाढ़ बनाते हैं।

Key Takeaways

  • नरी सेमरी सिद्धपीठ में मां कात्यायनी की आरती की अनोखी प्रथा है।
  • यहां की पूजा विधियां श्रद्धालुओं की आस्था को बढ़ाती हैं।
  • चैत्र नवरात्रि में मां के मंदिर पर मेला लगता है।
  • लाठियां बरसाने की प्रथा राजपूत समुदाय की शौर्य से जुड़ी है।
  • मां का चमत्कार भक्तों के विश्वास को मजबूत करता है।

नई दिल्ली, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। विश्व में कुल 51 शक्तिपीठ हैं, जिनमें से 41 शक्तिपीठ भारत के विभिन्न स्थानों पर विराजमान हैं। इनमें से कुछ मंदिर शक्तिपीठ के रूप में जाने जाते हैं, जबकि कुछ की दिव्यता इतनी है कि वे पूरे देश में प्रसिद्ध हैं।

मथुरा के छाता जिले में स्थित मां कात्यायनी का एक सिद्धपीठ है, जो अपनी आरती के लिए विख्यात है। यहां आरती करने का एक अनूठा तरीका है, जिससे भक्तों का आस्था मां पर और भी मजबूत हो जाती है। नरी सेमरी माता को ब्रज की रक्षक और हिमाचल की देवी भी कहा जाता है।

कहा जाता है कि हिमाचल के नगरकोट की माता के बड़े भक्त धांधू भगत ने मां को अपने साथ लेकर चलने का निर्णय लिया। मां ने साथ चलने के लिए एक शर्त रखी थी कि जहां भी वह मुड़ेंगी, वहीं अपना स्थान बना लेंगी। भक्त जब मथुरा के छाता के पास पहुंचे, तो मां वहीं अपना स्थान ले लेती हैं। खास बात यह है कि नवरात्रों में जब मां कात्यायनी की आरती होती है, तो हिमाचल के नगरकोट मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

मान्यता है कि माता रानी यहां विराजमान होकर दर्शन देती हैं। नरी सेमरी मंदिर को अपनी आरती प्रथा और पूजा विधियों के लिए जाना जाता है। चैत्र नवरात्रि में मां की आरती के लिए सफेद चादर लाई जाती है और आटे और तेल की बड़ी लौ तैयार करके चादर के चारों कोनों पर घुमाई जाती है। आरती के समय ज्योति चादर के आर-पार हो जाती है, लेकिन चादर को कोई हानि नहीं होती। मां का यही चमत्कार हर साल श्रद्धालुओं की आस्था को और भी गहरा करता है।

चैत्र नवरात्रि के दौरान मां के मंदिर पर मेला भी लगता है और आखिरी दिन, यानि नवमी के दिन, मां के मंदिर के कपाट पर लाठियां बरसाई जाती हैं। ये लाठियां नरी गांव, लवाई, रहेडा गांव, और सांखी गांव के क्षत्रिय समुदाय के लोग बरसाते हैं। इस प्रथा को राजपूत समुदाय की शौर्य से जोड़ा जाता है।

Point of View

NationPress
30/09/2025

Frequently Asked Questions

नरी सेमरी सिद्धपीठ की विशेषता क्या है?
नरी सेमरी सिद्धपीठ की विशेषता यहां की अनोखी आरती विधि है, जिसमें चादर के चारों कोनों पर ज्योति घुमाई जाती है।
कौन से समुदाय के लोग लाठियां बरसाते हैं?
लाठियां बरसाने का कार्य नरी गांव, लवाई, रहेडा गांव, और सांखी गांव के क्षत्रिय समुदाय के लोग करते हैं।