क्या नासिक में बारिश ने दशहरे का रंग फीका कर दिया है, फूल उत्पादकों को हुआ भारी नुकसान?

सारांश
Key Takeaways
- नासिक में बारिश ने दशहरे का रंग फीका किया।
- फूल उत्पादकों को भारी नुकसान हुआ है।
- फूलों की आपूर्ति में कमी आई है।
- किसान और व्यापारी सरकार से सहायता की मांग कर रहे हैं।
- महंगी कीमतों के कारण ग्राहक कम खरीदारी कर रहे हैं।
नासिक, २ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के नासिक में हुई भारी बारिश ने दशहरा पर्व की रौनक को फीका कर दिया है। इस खास अवसर पर हर साल गेंदे के फूलों की जबर्दस्त मांग होती है, लेकिन इस बार बारिश के कारण फूलों की आपूर्ति में गंभीर कमी आई है। बारिश के चलते, फूल उत्पादकों की लागत भी नहीं निकल पाई है।
खेतों में खिले फूलों को बारिश ने बिगाड़ दिया, जिससे किसानों और व्यापारियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। स्थानीय मंडियों में गेंदे के फूल सीमित मात्रा में ही पहुँचे हैं। किसानों का कहना है कि बारिश के कारण फूल गिर गए और गीले होने के कारण उन्हें तोड़ने में भी समस्याएं आईं।
एक किसान गोकुल ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, “बारिश ने फूलों को खराब कर दिया। मंडी तक माल नहीं पहुँच सका और जो पहुँचा, उसकी क्वालिटी अच्छी नहीं थी। खर्च भी नहीं निकल पाया। इस कारण फूलों की कीमतें दोगुनी हो गईं, लेकिन ग्राहक महंगे दामों के कारण कम खरीदारी कर रहे हैं।”
एक अन्य किसान चंपतराय ने बताया, “अत्यधिक बारिश ने फूलों को बहुत नुकसान पहुँचाया। मांग में कमी के कारण हमें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।”
उन्होंने सरकार से अपील की कि फूल उत्पादक किसानों के लिए विशेष सहायता योजना शुरू की जाए ताकि प्राकृतिक आपदाओं से बचा जा सके।
एक ग्राहक ने भी अपनी बात रखी। उसने कहा, “दशहरे की वजह से फूलों की मांग बढ़ी है, लेकिन कीमतें इतनी अधिक हैं कि पहले की तुलना में अब कम कीमत वाले फूल भी महंगे लग रहे हैं।”
मंडी में व्यापारियों ने भी शिकायत की कि खराब क्वालिटी और कम आपूर्ति के कारण अपेक्षित मुनाफा नहीं मिल रहा।
किसानों का कहना है कि यदि मौसम साफ रहता तो दशहरा सीजन में अच्छा मुनाफा हो सकता था। बारिश ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। अब किसान और व्यापारी बदलते मौसम और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन ने किसानों की समस्याओं पर विचार करने का आश्वासन दिया है।