क्या नवरात्रि में माता के आगमन और प्रस्थान की सवारी कैसे तय होती है?

सारांश
Key Takeaways
- मां दुर्गा का आगमन हर वर्ष बदलता है।
- वाहन के अनुसार शुभ-अशुभ संकेतों की व्याख्या होती है।
- सही दिन के अनुसार प्रस्थान का भी महत्व है।
- नवरात्रि भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
नई दिल्ली, 21 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नवरात्रि का पर्व भारतीय संस्कृति और आस्था का एक महत्वपूर्ण उत्सव है। नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। इस महापर्व का एक अद्भुत रहस्य यह है कि हर वर्ष मां दुर्गा किस वाहन पर सवार होकर आती हैं और किस पर विदाई लेती हैं।
यह परंपरा केवल धार्मिक विश्वास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ज्योतिषीय गणना और पौराणिक मान्यताओं पर आधारित है।
मां दुर्गा की सवारी का निर्धारण नवरात्रि के आरंभ होने वाले दिन के अनुसार किया जाता है। यदि नवरात्रि का आरंभ सोमवार या रविवार को होता है, तो माता हाथी पर सवार होकर आती हैं। हाथी पर आगमन को अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि यह समृद्धि, उन्नति और अच्छी वर्षा का संकेत देता है।
अगर नवरात्रि शनिवार या मंगलवार को प्रारंभ होती है, तो माता घोड़े पर आती हैं। घोड़े पर आगमन अशांत परिस्थितियों, युद्ध, राजनीतिक अस्थिरता या प्राकृतिक आपदाओं का सूचक माना जाता है। यदि नवरात्रि का आरंभ गुरुवार या शुक्रवार को होता है, तो माता पालकी पर आती हैं, जो घर-घर में सुख-शांति और धन-धान्य की वृद्धि का संकेत देती है।
बुधवार को नवरात्रि का आरंभ होने पर मां दुर्गा नौका पर सवार होकर आती हैं। नाव पर आगमन अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि यह भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति और जीवन में सकारात्मक परिणामों का संकेत देता है।
केवल आगमन ही नहीं, बल्कि माता के प्रस्थान की सवारी का भी विशेष महत्व है। विजयादशमी के दिन माता जिस दिन विदा लेती हैं, उसी दिन के आधार पर उनकी वापसी का वाहन निर्धारित होता है।
रविवार और सोमवार को माता का प्रस्थान भैंसे पर होता है, जो दुख और रोग की वृद्धि का संकेत देता है। मंगलवार और शनिवार को मुर्गे पर विदाई होती है, जो अस्थिरता का प्रतीक है।
बुधवार और शुक्रवार को हाथी पर वापसी को अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह भरपूर समृद्धि और खुशहाली लाता है। गुरुवार को यदि प्रस्थान होता है, तो यह नर वाहन अर्थात पालकी पर होता है, जिसे संतुलित और मध्यम परिणाम देने वाला माना जाता है।
वर्ष 2025 में पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर, सोमवार से आरंभ हो रही है। इसका अर्थ है कि मां दुर्गा इस बार हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। यह संकेत है कि आने वाले वर्ष में भरपूर वर्षा, उर्वरता और समृद्धि का वातावरण रहेगा। यह मान्यता केवल लोक आस्था नहीं, बल्कि प्रकृति और ब्रह्मांडीय ऊर्जा के परिवर्तन का द्योतक है।
पौराणिक दृष्टि से देखा जाए तो मां दुर्गा का मुख्य वाहन शेर है, जो शक्ति, पराक्रम और साहस का प्रतीक है। लेकिन नवरात्रि के नौ दिनों में बदलती हुई सवारियां ब्रह्मांडीय चक्र और प्रकृति के विविध रूपों को दर्शाती हैं। यही कारण है कि भक्त माता की हर सवारी को शुभ संकेत और भविष्य का दर्पण मानते हैं।