क्या नवादा में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया?
सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करना अनिवार्य है।
- कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए जागरूकता आवश्यक है।
- यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 के प्रमुख प्रावधानों की जानकारी होनी चाहिए।
- महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों के प्रति शिक्षित करना महत्वपूर्ण है।
- कार्यक्रम में सशक्तिकरण पर जोर दिया गया।
नवादा, 21 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, जिला विधिक सेवा प्राधिकार नवादा ने रविवार को एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में सदर प्रखंड में ‘कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम’ विषय पर जागरूकता फैलाई गई।
यह कार्यक्रम नालसा (राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार) एवं बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार, पटना के निर्देशानुसार आयोजित हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिल्पी सोनीराज (अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार) और सचिव धीरेंद्र कुमार पांडेय ने की। इस अवसर पर महिलाओं के अधिकारों और कानूनी प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की गई।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डिप्टी लीगल एड डिफेंस काउंसिल उमेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि कार्यस्थल पर महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करना कानूनन अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि महिलाओं के सम्मान का हनन करने पर कठोर दंड का प्रावधान है। भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों के लिए कड़ी सजा और जुर्माने की व्यवस्था है। उन्होंने कार्यस्थल पर महिलाओं को सुरक्षित वातावरण प्रदान करने और उनके अधिकारों की विस्तृत जानकारी दी।
प्रतिभागियों को यौन उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम, 2013 (पॉश एक्ट) के प्रमुख प्रावधानों से अवगत कराया गया। इसमें आंतरिक शिकायत समिति गठन, शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया और निवारण के उपायों पर जोर दिया गया। कार्यक्रम में महिलाओं को सशक्त बनाने और कार्यस्थल पर सुरक्षित माहौल बनाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। पारा विधिक स्वयंसेवक मनीष कुमार सिन्हा ने भी इसमें सक्रिय भूमिका निभाई।
इस अवसर पर प्रखंड के विभिन्न पदाधिकारी, कर्मचारी, जिले के गणमान्य व्यक्ति और अन्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक करना और समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा देना था। जिला विधिक सेवा प्राधिकार की ऐसी पहलें ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।