क्या एनसीईआरटी ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को पाठ्यपुस्तकों में शामिल करने का निर्णय लिया है?

सारांश
Key Takeaways
- 'ऑपरेशन सिंदूर' को पाठ्यपुस्तकों में शामिल करना एक महत्वपूर्ण कदम है।
- यह निर्णय युवाओं में देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देगा।
- सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों ने इस पहल की सराहना की है।
- यह पहल राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाएगी।
- यह भारत की शिक्षा प्रणाली में सैन्य इतिहास को शामिल करने का प्रयास है।
नई दिल्ली, 27 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने अपने स्कूली पाठ्यपुस्तकों में 'ऑपरेशन सिंदूर' को शामिल करने का निर्णय लिया है। इस कदम की सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों ने सराहना की है। उनका मानना है कि यह कदम युवाओं में देशभक्ति और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
एनसीईआरटी द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' को पाठ्यपुस्तकों में शामिल करने पर कर्नल (सेवानिवृत्त) राजीव खाकेरा ने कहा, "मेरे बैच के अनुसार, मैं सेना की वायु रक्षा (आर्मी एयर डिफेंस) से हूं। 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान, चाहे वह गन सिस्टम हो या मिसाइल सिस्टम, सेना की वायु रक्षा इकाई ने अद्भुत प्रदर्शन किया। मुझे खुशी है कि एनसीईआरटी ने इस उपलब्धि को पाठ्यपुस्तकों में शामिल किया है। यह बच्चों के लिए प्रेरणादायक होगा और उन्हें सेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करेगा।"
लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) कपिल दत्त ने कहा, "एनसीईआरटी में इसे शामिल करना एक सराहनीय निर्णय है। इससे युवा छात्रों को 'ऑपरेशन सिंदूर' के बारे में और जानने का अवसर मिलेगा।"
वहीं, विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) प्रफुल्ल बख्शी ने कहा, "स्कूली बच्चों, कॉलेज के छात्रों और आम जनता के लिए 'ऑपरेशन सिंदूर' के बारे में जानना आवश्यक है, क्योंकि यह अब आतंकवाद के अंत का प्रतीक बन गया है।"
सेवानिवृत्त जनरल पीएस. मल्होत्रा ने इस कदम की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' जैसे प्रयासों की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, "मैं आशा करता हूं कि 'मन की बात' 200 एपिसोड से आगे बढ़ेगा। प्रधानमंत्री जनता से पूरी तरह जुड़े हैं। 'ऑपरेशन सिंदूर' को पाठ्यपुस्तकों में शामिल करना राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करने वाला एक बेहतरीन निर्णय है।"
एनसीईआरटी की यह पहल अगले शैक्षणिक सत्र से लागू होने की संभावना है। इसे भारत की शिक्षा प्रणाली में सैन्य इतिहास और राष्ट्रीय गौरव को शामिल करने की एक व्यापक कोशिश का हिस्सा माना जा रहा है।