क्या झारखंड में ऑनर किलिंग की घटनाएं सबसे ज्यादा हैं? एनसीआरबी रिपोर्ट बताती है

सारांश
Key Takeaways
- झारखंड में ऑनर किलिंग की सबसे ज्यादा घटनाएं हुई हैं।
- एनसीआरबी की रिपोर्ट ने इस समस्या को उजागर किया है।
- महिला अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
- समाज में असहिष्णुता को दूर करने के लिए जागरूकता बढ़ानी होगी।
- सरकार को इस मुद्दे पर कड़े कानून बनाने चाहिए।
रांची, १ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। ऑनर किलिंग की घटनाएं इस समय देश में सबसे अधिक झारखंड में हो रही हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी की गई ताजा रिपोर्ट ने यह चौंकाने वाला तथ्य प्रस्तुत किया है। मंगलवार की शाम को प्रकाशित क्राइम इन इंडिया 2023 रिपोर्ट के अनुसार, पूरे देश में ऑनर किलिंग की ३८ घटनाएं रिपोर्ट की गईं, जिनमें से सर्वाधिक ९ झारखंड में हुई हैं।
खाप पंचायतों के निर्णयों और ऐसी घटनाओं के लिए अक्सर चर्चा में रहने वाले हरियाणा में ६ वारदातें दर्ज की गईं। पंजाब और मध्य प्रदेश में ५-५ मामले सामने आए, जबकि उत्तर प्रदेश में ४ और महाराष्ट्र में ३ मामले रिपोर्ट किए गए। बिहार और कर्नाटक में २-२ घटनाएं हुईं, वहीं छत्तीसगढ़ और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में १-१ मामला दर्ज किया गया।
ऑनर किलिंग उस परिस्थिति को दर्शाता है जब परिवार या समाज अपनी 'इज्जत' के नाम पर किसी महिला या पुरुष की हत्या कर देता है। यह अक्सर तब होता है जब कोई युवा या युवती परिवार या जातिगत-सामाजिक परंपराओं के खिलाफ जाकर प्रेम संबंध या विवाह करता है। कई बार दूसरी जाति, धर्म या गोत्र में विवाह, या परिवार की इच्छा के विपरीत संबंध बनाने पर परिजन ही हत्या कर देते हैं।
महिला एवं बाल अधिकारों के लिए सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता और स्वतंत्र पत्रकार मोनिका आर्या का कहना है, “एनसीआरबी के आंकड़ों में झारखंड में ऑनर किलिंग की सबसे ज्यादा घटनाओं की रिपोर्टिंग चौंकाने वाली है। झारखंड एक आदिवासी बहुल प्रदेश है, जहां आमतौर पर यह माना जाता रहा है कि स्त्री-पुरुष में भेदभाव अपेक्षाकृत कम होता है। यदि यह आंकड़ा सच्चाई के करीब है, तो यह गहरी सामाजिक चिंता का विषय है।”
झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता योगेंद्र यादव ने कहा, “ऑनर किलिंग का हर मामला समाज में गहरी असहिष्णुता और पितृसत्तात्मक सोच का प्रतीक है। भारतीय कानून में हत्या के लिए पर्याप्त प्रावधान हैं, लेकिन ऑनर किलिंग को एक अलग अपराध के रूप में परिभाषित कर कड़ी सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए। केंद्र और राज्य सरकारों को इस तरह के अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए विशेष कानून बनाने पर विचार करना चाहिए।”