क्या नीम लिवर को डिटॉक्स कर मुहांसों को दूर करता है?
सारांश
Key Takeaways
- नीम लिवर के लिए एक प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर है।
- यह मुहांसों और दाग-धब्बों से राहत दिलाता है।
- नीम की पत्तियाँ शरीर में ऊर्जा बढ़ाती हैं।
- यह हृदय स्वास्थ्य को भी सुधारता है।
- आयुर्वेद में नीम का ऐतिहासिक उपयोग है।
नई दिल्ली, १३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। आयुर्वेद के अनुसार, नीम की पत्तियाँ, फूल, टहनी और फल अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं। नीम में अनेक समस्याओं का समाधान छिपा है। यह न केवल लिवर को डिटॉक्स करता है, बल्कि मुहांसों और दाग-धब्बों से भी राहत दिलाता है।
भारत सरकार का आयुष मंत्रालय नीम को प्रकृति का अनमोल उपहार मानता है। इसकी कड़वाहट शरीर के लिए अत्यंत फायदेमंद है और सदियों से इसका उपयोग आयुर्वेद में होता आ रहा है। नीम की पत्तियाँ लीवर को साफ करने में प्रभावी हैं। प्रतिदिन नीम की ५-७ पत्तियाँ चबाने या इसका रस पीने से लिवर में जमा विषैले तत्व बाहर निकलते हैं। इससे पाचन तंत्र मजबूत होता है और शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। नीम लीवर के कार्य को सुचारु बनाता है, जिससे थकान और सुस्ती दूर होती है।
खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में नीम की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण धमनियों में जमा गंदगी को साफ करते हैं। इससे हृदय रोगों का खतरा कम होता है और रक्त संचार बेहतर होता है। चेहरे की सुंदरता के लिए भी नीम एक रामबाण उपाय है। मुहांसों, दाग-धब्बों और कील की समस्या से परेशान लोगों को नीम की पत्तियों का पेस्ट लगाने या रस पीने की सलाह दी जाती है। नीम में मौजूद एजाडिरेक्टिन तत्व बैक्टीरिया को मारता है और त्वचा को साफ-सुथरा रखता है।
नीम को अपनी दिनचर्या में शामिल करना बेहद लाभकारी है। यह एक सस्ता, सुरक्षित और प्राकृतिक उपचार है। रोजाना नीम के पानी से चेहरा धोने से त्वचा में निखार आता है और मुहांसे दूर होते हैं। केवल सर्दी नहीं, बल्कि गर्मी और बरसात के मौसम में भी नीम का सेवन लाभकारी होता है। नीम की पत्तियों को उबालकर बनाया गया काढ़ा भी लाभकारी है। गर्मियों में इसके फूल से बने शर्बत का सेवन करना भी कई फायदे देता है। इसे सुबह खाली पेट पीने से पूरे शरीर का डिटॉक्स होता है। हालांकि, इसका सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।