क्या नेपाल में हुई हिंसा का जिम्मेदार सरकार है?

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क्या नेपाल में हुई हिंसा का जिम्मेदार सरकार है?

सारांश

नेपाल में जेन-जेड पीढ़ी के विरोध-प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा ने कई नागरिकों की जान ले ली। प्रधानमंत्री ओली ने सरकार की नीतियों की स्पष्टता दी, जबकि उन्होंने बाहरी तत्वों के हस्तक्षेप की बात की। क्या यह घटना सरकार की नीतियों का परिणाम है?

Key Takeaways

  • नेपाल में जेन-जेड पीढ़ी का प्रदर्शन
  • सरकार की नीतियों पर सवाल
  • बाहरी तत्वों की घुसपैठ
  • सोशल मीडिया का नियमन
  • मृतकों के परिवारों के लिए राहत

काठमांडू, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नेपाल में जेन-जेड पीढ़ी द्वारा आयोजित विरोध-प्रदर्शन में हुई हिंसक झड़प और नागरिकों की मृत्यु पर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने शुरू से ही युवाओं की मांगों को सुना है और उनके प्रति कोई नकारात्मक दृष्टिकोण नहीं था, लेकिन प्रदर्शन में बाहरी तत्वों की घुसपैठ ने स्थिति को बिगाड़ दिया।

प्रधानमंत्री ओली ने कहा, "आज जेन-जेड पीढ़ी द्वारा आयोजित विरोध-प्रदर्शन के दौरान हुई दुखद घटना से मैं अत्यंत दुखी हूं। हमें भरोसा था कि हमारे युवा अपनी मांगें शांतिपूर्वक रखेंगे, लेकिन विभिन्न स्वार्थी तत्वों की घुसपैठ के कारण एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति उत्पन्न हुई जिसमें नागरिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी। सरकार जेन-जेड पीढ़ी की मांगों के प्रति उदासीन नहीं थी। हम उनकी आवाज सुन रहे थे। हालांकि, विरोध-प्रदर्शन में घुसपैठ के कारण हमारे संवैधानिक संस्थाओं में तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं हुईं। इन संस्थाओं की रक्षा के प्रयास में, इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में जानें चली गईं।"

उन्होंने कहा कि प्रदर्शन के आयोजकों ने भी घुसपैठ का एहसास होने पर विरोध-प्रदर्शन को सफल घोषित किया था और सभी से बिना देर किए घर लौटने का आह्वान किया था। लेकिन उसके बाद, घुसपैठियों ने तोड़फोड़ और आगजनी की। इससे सरकार को सरकारी संपत्ति की सुरक्षा के लिए कदम उठाने पड़े।

उन्होंने बताया कि पिछले एक साल से सरकार नागरिकों को अवांछित गतिविधियों से बचाने के लिए सोशल मीडिया को विनियमित करने के उद्देश्य से संबंधित कंपनियों से नेपाल में पंजीकरण और सूचीबद्ध होने का बार-बार अनुरोध कर रही है। कुछ प्लेटफॉर्म्स ने सरकार के अनुरोध का पालन किया और नेपाल में पंजीकरण कराया, जबकि अन्य लगातार अनुरोधों को नजरअंदाज करते रहे। इसी संदर्भ में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को एक निर्देशात्मक आदेश जारी किया है जिसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को पंजीकृत करने का निर्देश दिया गया है ताकि उन पर नजर रखी जा सके।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने सोशल मीडिया को बंद करने की कोई नीति नहीं अपनाई थी और न ही अपनाएगी। अदालत के आदेश के अनुसार, जब कुछ प्लेटफॉर्म ने पिछले हफ्ते सूचीबद्ध होने के सरकार के अंतिम आह्वान की अवहेलना की, तो उन्हें निष्क्रिय कर दिया गया- पंजीकरण और सूचीबद्धता होने के बाद फिर से संचालन शुरू करने के लिए तैयार। इसका निश्चित रूप से हमारी नई पीढ़ी पर असर पड़ा, जो पिछले बीस सालों से सोशल मीडिया का उपयोग कर रही है। राज्य के कानूनों और अदालत के आदेश के तहत सोशल मीडिया को विनियमित करने के हमारे प्रयासों के बारे में पर्याप्त जानकारी के अभाव और जेन-जेड पीढ़ी की धारणा को लेकर कुछ गलतफहमियों के कारण आज यह स्थिति पैदा हुई है। सरकार सोशल मीडिया के इस्तेमाल के खिलाफ नहीं है और वह इसके इस्तेमाल के लिए माहौल सुनिश्चित करेगी। इसके लिए विरोध करने की न तो कोई ज़रूरत थी और न ही भविष्य में होगी।

पीएम ओली ने आगे कहा कि मुझे विरोध-प्रदर्शन के दौरान नागरिकों की जान जाने का बेहद दुख है। मैं उन परिवारों और रिश्तेदारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं जिन्होंने इस अकल्पनीय घटना में अपने प्रियजनों को खो दिया है। सरकार मृतकों के परिवारों को उचित राहत प्रदान करेगी और घायलों का निःशुल्क इलाज सुनिश्चित करेगी। मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि एक जाँच समिति गठित की जाएगी जो 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, जिसमें पूरे घटनाक्रम, नुकसान और कारणों का विश्लेषण किया जाएगा, साथ ही भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के उपायों पर सुझाव भी दिए जाएंगे।

Point of View

बाहरी तत्वों ने स्थिति को बिगाड़ दिया। हमें इससे सबक लेने की आवश्यकता है कि युवाओं की मांगों को गंभीरता से लिया जाए और उन्हें सुरक्षित रूप से व्यक्त करने का अवसर दिया जाए।
NationPress
09/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या सरकार ने सोशल मीडिया को बंद करने की नीति बनाई है?
नहीं, प्रधानमंत्री ओली ने स्पष्ट किया है कि सरकार ने सोशल मीडिया को बंद करने की कोई नीति नहीं बनाई है।
इस हिंसा के कारण कितने नागरिकों की जान गई?
इस हिंसा के दौरान कई नागरिकों की जान गई, जिनकी संख्या अभी तक स्पष्ट नहीं है।
सरकार मृतकों के परिवारों के लिए क्या करेगी?
सरकार मृतकों के परिवारों को उचित राहत प्रदान करेगी और घायलों का निःशुल्क इलाज सुनिश्चित करेगी।
क्या प्रदर्शन के आयोजकों ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की?
जी हां, प्रदर्शन के आयोजकों ने घुसपैठ का एहसास होने पर प्रदर्शन को सफल घोषित कर दिया और घर लौटने का आह्वान किया।
क्या जाँच समिति गठित की जाएगी?
हाँ, एक जाँच समिति गठित की जाएगी जो 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।