क्या निठारी सीरियल हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से न्याय हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट का निर्णय निठारी हत्याकांड के लिए एक नया मोड़ है।
- मृतका के परिवार का गहरा दुख और उनकी चिंताएं महत्वपूर्ण हैं।
- यह मामला न्याय प्रणाली की परेशानियों को उजागर करता है।
- सामाजिक न्याय की आवश्यकता को और अधिक बल मिलता है।
- इस मामले में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के निठारी सीरियल हत्याकांड मामले में मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को बरी किए जाने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। मृतका ज्योति के पिता ने इस कोर्ट के आदेश पर दुख व्यक्त किया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई, उत्तर प्रदेश सरकार और पीड़ित परिवारों की अपीलों को खारिज कर दिया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 16 अक्टूबर, 2023 के आदेश को बरकरार रखा गया, जिसमें उनकी मौत की सजा को रद्द कर दिया गया था।
मृतका ज्योति के पिता और पीड़ित परिवार के सदस्य झब्बूलाल ने राष्ट्र प्रेस से कहा, "अगर वह दोषी नहीं था, तो उसे इतने सालों तक जेल में क्यों रखा गया? जिस पुलिस अधिकारी ने उसे जेल में डाला, उसे मौत की सजा मिलनी चाहिए और जिस जज ने यह आदेश दिया, उसे भी मौत की सजा मिलनी चाहिए।"
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के कोली और पंढेर को बरी करने के फैसले को बरकरार रखा। हाईकोर्ट के इस फैसले में मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को सबूतों के अभाव में बरी किया गया था।
याद रहे कि 7 मई 2006 को निठारी में एक युवती को पंढेर ने नौकरी दिलाने के बहाने बुलाया था। इसके बाद युवती वापस घर नहीं लौटी। युवती के पिता ने नोएडा के सेक्टर-20 थाने में गुमशुदगी का केस दर्ज कराया था। इसके बाद 29 दिसंबर 2006 को निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले में पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे।
पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था। बाद में निठारी कांड से संबंधित सभी मामले सीबीआई को स्थानांतरित कर दिए गए थे।