क्या सीएम नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल से सामाजिक समीकरण साधा है?
सारांश
Key Takeaways
- नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल में सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखा है।
- राजपूत जाति से चार मंत्री शामिल हैं।
- मंत्रिमंडल में ओबीसी, ईबीसी, और अन्य समुदायों का संतुलित प्रतिनिधित्व है।
- कुशवाहा और मुस्लिम समुदायों के सदस्यों को भी स्थान मिला है।
- सामाजिक संतुलन से विकास की संभावनाएँ बढ़ेंगी।
पटना, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। नीतीश कुमार ने गुरुवार को 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 26 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली है। यदि हम नीतीश कुमार के नए मंत्रिमंडल पर ध्यान दें तो यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने इस मंत्रिमंडल के माध्यम से सामाजिक समीकरण को दुरुस्त करने का प्रयास किया है।
नीतीश कुमार के नए मंत्रिमंडल में जहां जदयू कोटे से आठ लोगों को मंत्री बनाया गया है, वहीं भाजपा कोटे से 14 लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। इसके अलावा लोजपा (रामविलास) के दो और राष्ट्रीय लोक मोर्चा तथा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा से एक-एक को मंत्री बनाया गया है।
इस मंत्रिमंडल में राजपूत जाति से आने वाले संजय टाइगर, श्रेयसी सिंह, लेसी सिंह और संजय कुमार सिंह को मंत्री बनाया गया है, जबकि भूमिहार चेहरे के तौर पर विजय कुमार सिन्हा और विजय कुमार चौधरी को स्थान दिया गया है।
सामाजिक संतुलन बनाए रखने के लिए ब्राह्मण समाज के चेहरे के तौर पर मंगल पांडेय को फिर से मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।
कायस्थ समाज से आने वाले नितिन नबीन को फिर से मंत्री बनाया गया है, जबकि यादव समुदाय से रामकृपाल यादव और बिजेंद्र प्रसाद को मंत्री बनाया गया है।
कुशवाहा समाज को भी साधने के लिए इस समुदाय के तीन लोगों को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व दिया गया है। मुस्लिम वर्ग से मोहम्मद जमा खान को फिर से मंत्री बनाया गया है। नीतीश मंत्रिमंडल में निषाद समाज से आने वाले रमा निषाद और मदन सहनी को स्थान दिया गया है।
मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित 13 मंत्री ओबीसी, ईबीसी और वैश्य समुदाय के लोग शामिल हैं। कुर्मी समाज से आने वाले श्रवण कुमार को एक बार फिर से नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। दलित चेहरे के रूप में लखेंद्र पासवान, सुनील कुमार, अशोक चौधरी, संजय कुमार पासवान और संतोष कुमार सुमन को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।