क्या नोएडा में डिजिटल अरेस्ट कर धोखाधड़ी करने वाला गैंग पकड़ा गया?
                                सारांश
Key Takeaways
- साइबर धोखाधड़ी से बचने के लिए सतर्क रहना आवश्यक है।
 - फर्जी कॉल के जरिए बड़े पैमाने पर ठगी की जा सकती है।
 - पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए धोखाधड़ी में शामिल खातों को फ्रीज किया।
 - साइबर अपराधियों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए स्थानीय इंटेलिजेंस का उपयोग किया गया।
 - आवश्यक कानूनी कार्रवाई के लिए न्यायालय के आदेश का पालन हो रहा है।
 
नोएडा, 17 जून (राष्ट्र प्रेस)। नोएडा के साइबर थाने ने स्थानीय खुफिया जानकारी और गोपनीय सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए डिजिटल अरेस्ट कर 50 लाख रुपए की धोखाधड़ी करने वाले साइबर आरोपी को दिल्ली से गिरफ्तार किया।
पुलिस के अनुसार, पीड़िता ने 26 मई को थाना साइबर क्राइम नोएडा में एक शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें बताया गया कि साइबर अपराधी ने पीड़िता से टेलीकॉम डिपार्टमेंट का कर्मचारी बनकर संपर्क किया। फिर, मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाकर डिजिटल अरेस्ट किया और फर्जी दस्तावेज भेजकर गिरफ्तारी का डर दिखाया। इसके बाद 50 लाख रुपए ट्रांसफर करवा लिए। साइबर पुलिस ने जब इस मामले की जांच की तो धोखाधड़ी में शामिल बैंक खातों को तुरंत फ्रीज किया गया।
पुलिस ने बताया कि आरोपी से पूछताछ करने पर पता चला कि उसने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर यस बैंक में खाता खोला और उसी खाते में पीड़िता से धोखाधड़ी कर 4 लाख रुपए ट्रांसफर करवा लिए। बाद में बैंक जाकर अन्य आरोपियों की मदद से पैसे निकाल लिए गए। इसी प्रकार आरोपी ने बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते से लगभग 14 लाख रुपए निकाले थे।
पुलिस के अनुसार, इस मामले में शामिल अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है और उनकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। साइबर पुलिस ने धोखाधड़ी के 2,57,179 रुपए फ्रीज कराए हैं। न्यायालय के आदेश के अनुसार रिफंड की कार्रवाई चल रही है।
पुलिस ने आगे बताया कि एक आरोपी को 3 जून को इसी मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। आरोपी सुमित के खोले गए बैंक खाते की एनसीआरपी पोर्टल पर जांच करने पर कुल दो शिकायतें (उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र) प्राप्त हुई हैं।