क्या नोएडा में एसआईआर की प्रक्रिया में लापरवाही पर कार्रवाई हुई?
सारांश
Key Takeaways
- नोएडा प्राधिकरण ने दो कर्मचारियों को निलंबित किया।
- लापरवाही के चलते निर्वाचन प्रक्रिया में व्यवधान आया।
- निर्वाचन आयोग के निर्देशों का उल्लंघन हुआ।
नोएडा, २ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान में गंभीर लापरवाही और अनुशासनहीनता का मामला सामने आया है। इस पर नोएडा प्राधिकरण ने कड़ा कदम उठाते हुए दो कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबित अधिकारियों में सहायक मैकेनिक कम ऑपरेटर विश्राम सिंह और कनिष्ठ सहायक नीरज देवी शामिल हैं।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश के निर्देशानुसार विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की निर्वाचक नामावलियों के एसआईआर का कार्य पूरे प्रदेश में चल रहा है। इसकी प्रक्रिया के तहत अर्हता तिथि 1 जनवरी 2026 के आधार पर मतदाताओं के नाम जोड़ने, हटाने और संशोधन के लिए ४ नवंबर से ४ दिसंबर तक गणना प्रपत्रों का वितरण एवं संग्रह किया जाना तय था। इस कार्य के लिए क्षेत्रीय अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी निर्धारित की गई थी, ताकि सभी पात्र नागरिकों का नाम मतदाता सूची में सम्मिलित हो सके।
रिपोर्ट के अनुसार, तहसीलदार दादरी एवं सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (६१-नोएडा विधानसभा) ने रिपोर्ट किया कि इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए विश्राम सिंह को पर्यवेक्षक तथा नीरज देवी को बीएलओ (बूथ लेवल अधिकारी) के रूप में नियुक्त किया गया था, लेकिन २६ नवंबर तक दोनों कर्मचारियों द्वारा सौंपे गए फार्म का डिजिटलाइजेशन और पुनरीक्षण कार्य अत्यंत धीमा और असंतोषजनक पाया गया।
प्राधिकरण के अनुसार, उनके ढीले रवैये के कारण शासन द्वारा संचालित निर्वाचन संबंधी कार्य में गंभीर व्यवधान उत्पन्न हुआ, जो सीधे तौर पर निर्वाचन आयोग के निर्देशों की अवहेलना है। निर्वाचन प्रक्रिया की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए इस आचरण को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1950, उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचार नियमावली-1956 तथा नोएडा सेवा नियमावली-1981 का उल्लंघन माना गया।
इसके परिणामस्वरूप मुख्य कार्यपालक अधिकारी, नोएडा ने दोनों कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के आदेश जारी किए हैं। प्राधिकरण ने यह स्पष्ट किया है कि निर्वाचन जैसे संवैधानिक और महत्वपूर्ण कार्यों में किसी भी स्तर की लापरवाही, शिथिलता या अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। साथ ही, संबंधित पर्यवेक्षण इकाइयों को अभियान की प्रगति पर नियमित समीक्षा और कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।