क्या नूंह में साइबर अपराधी की रिमांड से 90 लाख की साइबर ठगी का खुलासा हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- नूंह पुलिस ने साइबर ठगी के एक बड़े नेटवर्क का खुलासा किया।
- राशिद ने फर्जी सिम कार्ड बेचकर लगभग 90 लाख रुपए की ठगी की।
- यह गुनाह कॉमन सर्विस सेंटर का दुरुपयोग कर किया गया।
- पुलिस ने कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
- यह घटना साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता को दर्शाती है।
नूंह, 18 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। साइबर अपराध के खिलाफ नूंह पुलिस को एक महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त हुई है। थाना साइबर क्राइम की पुलिस टीम ने 14 सितंबर को गिरफ्तार किए गए राशिद, पुत्र इसराईल, निवासी ग्राम पढेनी तावडू से पूछताछ में एक संगठित ठगी नेटवर्क का खुलासा किया है। पुलिस रिमांड में यह सामने आया कि आरोपी ने फर्जी सिम कार्ड90 लाख रुपए की ऑनलाइन ठगी को अंजाम दिया है।
एएसपी आयुष यादव ने बृहस्पतिवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि राशिद एक कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) संचालक था। वह अपनी दुकान पर आने वाले लोगों के दस्तावेजों का दुरुपयोग करते हुए फर्जी सिम कार्ड तैयार कर उन्हें साइबर ठगों को बेचता था। इन सिम कार्ड्स का उपयोग देशभर में ठगी की वारदातों में किया गया। तकनीकी जांच में खुलासा हुआ कि राशिद द्वारा बेचे गए इन फर्जी सिम कार्ड्स की मदद से तमिलनाडु और तेलंगाना के कई लोगों को शिकार बनाया गया।
एएसपी ने बताया कि इस मामले में इससे पहले अरबाज और जैतुन को गिरफ्तार किया जा चुका है। उनकी गिरफ्तारी के बाद मनी ट्रेल और तकनीकी डाटा की गहन जांच में राशिद का नाम सामने आया। राशिद साइबर अपराधियों को फर्जी सिम कार्ड उपलब्ध कराने के साथ-साथ बैंक खातों में गलत डाटा फीड करने का काम भी करता था। आरोपी के पास से कई मोबाइल फोन, फर्जी सिम कार्ड और एक पीओएस मशीन बरामद की गई है। इन डिजिटल साक्ष्यों से यह स्पष्ट हो गया है कि यह गिरोह लंबे समय से लोगों को ठगने में सक्रिय था।
एएसपी आयुष यादव ने आगे कहा कि पुलिस इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों की तलाश में जुटी है। साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि राशिद और उसके साथी ने कितने राज्यों में अपना जाल फैला रखा है और कितने लोगों को अब तक ठगी का शिकार बनाया है। अब तक सात मामलों में राशिद का नाम सामने आ चुका है।