क्या ओडिशा ने ग्रीन ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन नीति का मसौदा जारी किया?
 
                                सारांश
Key Takeaways
- ओडिशा सरकार ने 'इलेक्ट्रिक वाहन नीति- 2025' का मसौदा प्रस्तुत किया है।
- 2030 तक 50% इलेक्ट्रिक वाहनों का लक्ष्य रखा गया है।
- नीति में सब्सिडी और चार्जिंग स्टेशन की स्थापना शामिल है।
- कौशल विकास के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
- यह नीति 31 दिसंबर, 2030 तक लागू रहेगी।
भुवनेश्वर, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा सरकार ने 'इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति- 2025' का नया मसौदा प्रस्तुत किया है, जो राज्य में हरित गतिशीलता को बढ़ावा देने और सतत परिवहन में देश में अग्रणी बनने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना के रूप में देखा जा रहा है।
इस नीति के तहत 2030 तक नए पंजीकरण में 50 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों को शामिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह योजना दोपहिया, तिपहिया, चार पहिया वाहनों, बसों, ट्रकों और निर्माण उपकरणों जैसे सभी प्रकार के वाहनों को कवर करेगी। इसे इसीलिए लागू किया गया है क्योंकि राज्य की 2021 ईवी नीति ने अगस्त 2025 तक 20 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक केवल 9 प्रतिशत ही हासिल हो सका है।
इस नीति में कई नए कदम शामिल हैं, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सब्सिडी देना प्रमुख है। यह सब्सिडी दोपहिया, तिपहिया, चार पहिया वाहनों, बसों और पुराने वाहनों को नया रूप देने वाले रेट्रोफिटेड वाहनों के लिए होगी, जो उनके प्रदर्शन और दक्षता पर आधारित होगी। चार्जिंग सुविधाओं को मजबूत करने के लिए ईंधन पंपों और बस टर्मिनलों पर फास्ट चार्जिंग स्टेशन लगाने की अनिवार्यता होगी।
राजमार्गों पर चार्जिंग स्टेशन बनाने के लिए वीजीएडी और बैटरी-स्वैपिंग के लिए पूंजीगत सब्सिडी प्रदान की जाएगी। ईवी निर्माण और नई तकनीक के विकास के लिए 15 करोड़ रुपए का मुख्यमंत्री ईवी अनुसंधान अनुदान दिया जाएगा, साथ ही उत्कृष्टता और इनक्यूबेशन केंद्र भी स्थापित किए जाएंगे।
कौशल विकास के लिए एससीटीई और वीटी के तहत विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू होंगे, जिससे 2030 तक 500 कुशल पेशेवर तैयार किए जा सकें। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए बैटरी रीसाइक्लिंग और सेकेंड-लाइफ उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा।
इस नीति को सही तरीके से लागू करने के लिए राज्य ईवी सेल, संचालन समिति और टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा, जो सभी हितधारकों के साथ तालमेल बनाए रखेगा। यह नीति 31 दिसंबर, 2030 तक लागू रहेगी। सरकार ने जनता और हितधारकों से ओडिशा राजपत्र में प्रकाशन के 30 दिनों के भीतर सुझाव मांगे हैं।
 
                     
                                             
                                             
                                             
                                            