क्या ओंकारेश्वर में सावन के दूसरे सोमवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी?

सारांश
Key Takeaways
- ओंकारेश्वर में सावन के दूसरे सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए।
- भक्तों की कतारें सुबह से ही लग गईं।
- मंदिर प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था के लिए विशेष तैयारियाँ की हैं।
- यह स्थान न केवल धार्मिक, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य का भी प्रतीक है।
- ओंकारेश्वर का जलाभिषेक का विशेष महत्व है।
खंडवा, 21 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में सावन के दूसरे सोमवार को दर्शन हेतु श्रद्धालुओं की भारी भीड़ एकत्रित हुई। सुबह 5 बजे प्रातःकालीन आरती से ही मंदिर परिसर में भक्तों की लंबी कतारें नजर आईं। हर दिशा से "बोल बम," "भोले शंभू," और "ओम नमः शिवाय" का जयघोष गूंज रहा था।
नर्मदा नदी के किनारे स्थित स्वयंभू ओंकार-ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग की उपस्थिति इस धार्मिक नगरी को और भी महत्वपूर्ण बनाती है। सुबह से ही देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने और जलार्पण के लिए यहाँ पहुँच रहे हैं।
यह तीर्थनगरी न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि अपने प्राकृतिक सौंदर्य के कारण भी हर किसी का मन मोह लेती है। नर्मदा का किनारा, हरे-भरे पहाड़, और मंदिरों की भव्यता अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करते हैं। सावन के महीने में यहाँ का वातावरण और भी भक्तिमय हो जाता है।
श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए मंदिर प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों ने व्यापक व्यवस्थाएँ की हैं। मंदिर परिसर में कतारों को व्यवस्थित करने, सुरक्षा सुनिश्चित करने और स्वच्छता बनाए रखने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।
14 जुलाई को श्रावण मास के पहले सोमवार को द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक और चतुर्थ ज्योतिर्लिंग माने जाने वाले ओंकारेश्वर मंदिर में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए थे।
श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस महीने में महादेव अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। यही कारण है कि श्रद्धालुओं का तांता सुबह से लेकर देर शाम तक लगा रहता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव दिनभर ब्रह्मांड में विचरण करते हैं, जबकि रात में ओंकार पर्वत पर शयन करते हैं। इसलिए यहाँ शयन आरती का विशेष महत्व है। मंदिर नर्मदा नदी में मांधाता द्वीप या शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है। मान्यता है कि ओंकारेश्वर में स्थापित लिंग किसी मनुष्य द्वारा नहीं, बल्कि प्राकृतिक रूप से बना है। यह शिवलिंग हमेशा चारों ओर से जल से भरा रहता है। ओंकारेश्वर मंदिर नर्मदा के दाहिने तट पर है, जबकि ममलेश्वर बाएं तट पर स्थित है।