क्या ओवैसी मालेगांव ब्लास्ट केस में सरकार से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की मांग कर रहे हैं?

सारांश
Key Takeaways
- मालेगांव बम विस्फोट में 6 नमाजियों की मौत हुई थी।
- ओवैसी ने सरकार से सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की मांग की।
- सभी आरोपी बरी किए गए हैं, जिससे कई सवाल उठ रहे हैं।
- आतंकवाद के खिलाफ एक समान रवैया आवश्यक है।
- महाराष्ट्र सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं।
नई दिल्ली, 31 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में एनआईए की विशेष अदालत के निर्णय पर एआईएमआईएम के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से पूछा है कि क्या वे इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
ओवैसी ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा, "2008 के मालेगांव बम विस्फोट में छह नमाजियों की जान गई थी और लगभग 100 लोग घायल हुए थे। मुंबई एटीएस ने शुरुआत में इस मामले की जांच की थी, लेकिन बाद में इसे एनआईए को सौंपा गया। इस जांच में कई खामियां थीं। अब, 17 साल बाद अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। मेरा सवाल केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से है कि जिस तरह उन्होंने 2006 के मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, अगर वे अब सुप्रीम कोर्ट नहीं जाते, तो क्या यह आतंकवाद के प्रति पाखंड नहीं होगा?"
उन्होंने यह भी पूछा कि विस्फोट में इस्तेमाल किया गया मिलिट्री-ग्रेड आरडीएक्स कहां से आया। ओवैसी ने कहा, "समझौता ब्लास्ट, मक्का मस्जिद ब्लास्ट, मुंबई ट्रेन ब्लास्ट, 2006 मालेगांव ब्लास्ट और 2008 ब्लास्ट किसने किए, किसी को नहीं मालूम। असली गुनहगार आज भी खुलेआम घूम रहे हैं। मेरा सवाल है कि क्या मोदी सरकार और महाराष्ट्र सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगी? आतंकवाद से मुकाबला करने का दोहरा रवैया नहीं हो सकता।"
एआईएमआईएम नेता वारिस पठान ने मालेगांव ब्लास्ट केस में अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने राष्ट्र प्रेस से कहा, "स्पेशल कोर्ट ने सात आरोपियों को बरी कर दिया है। इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण है कि छह नमाजियों की मौत हुई और 100 से अधिक लोग घायल हुए। मैं पूछना चाहता हूं कि ये बम कहां से आए? उस समय एनआईए और एटीएस ने कहा था कि मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम पर थी, लेकिन अब उन्हें छोड़ दिया गया है। इस हमले में जान गंवाने वालों की जिम्मेदारी कौन लेगा?"
उन्होंने आगे कहा, "कुछ दिन पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में 12 आरोपियों को बरी किया था। लेकिन, महाराष्ट्र सरकार तुरंत सुप्रीम कोर्ट गई और बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर स्टे ले लिया। मेरा सवाल यह है कि क्या महाराष्ट्र सरकार इतनी जल्दी मालेगांव केस में बरी हुए लोगों के खिलाफ अपील दायर करेगी? मैं मानता हूं कि देश में आतंकवाद को पूरी तरह समाप्त होना चाहिए, लेकिन समानता होनी चाहिए। एक के खिलाफ आप अपील करते हैं, क्या आप दूसरे केस में भी ऐसा ही करेंगे? हम चाहते हैं कि महाराष्ट्र सरकार इस मामले में भी अपील करे।