क्या पांता भात पाचन से इम्युनिटी तक सेहत के लिए वरदान है?
सारांश
Key Takeaways
- पांता भात एक पोषक अमृत है जो पाचन को बेहतर बनाता है।
- यह इम्युनिटी को स्वाभाविक रूप से बढ़ाता है।
- रातभर पानी में रखने से इसमें प्राकृतिक बैक्टीरिया बनते हैं।
- यह गर्मियों में ठंडक प्रदान करता है।
- किफायती और पोषण से भरपूर है।
नई दिल्ली, ११ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा और बंगाल में पांता भात को केवल बचे हुए चावल नहीं, बल्कि एक प्रकार का पोषक अमृत माना जाता है। सदियों से इसे रोजाना के खाने का हिस्सा बनाया जाता रहा है और अब विज्ञान भी इसके अद्भुत फायदों को मान्यता देने लगा है।
पांता भात बनाने की विधि बेहद सरल है। बचे हुए चावल को रात भर पानी में भिगोकर रखा जाता है। लेकिन इसकी असली विशेषता इस प्रक्रिया में है। रात भर पानी में रहने से चावल में प्राकृतिक फर्मेंटेशन शुरू होती है, जिससे यह एक अत्यंत हेल्दी प्रोबायोटिक भोजन में परिवर्तित हो जाता है।
इसमें बनने वाले प्राकृतिक बैक्टीरिया आंतों को मजबूत करते हैं और पाचन को बेहतर बनाते हैं। पेट की समस्याओं जैसे एसिडिटी, अपच या सूजन से परेशान लोगों के लिए पांता भात किसी औषधि से कम नहीं है। यह शरीर की सूजन को कम करने और इम्यूनिटी को प्राकृतिक रूप से बढ़ाने में मदद करता है।
एक और महत्वपूर्ण बात, रात भर पानी में रखे चावल में विटामिन बी12 का निर्माण होता है। यह सामान्य चावल में नहीं मिलता, लेकिन फर्मेंटेशन के कारण यह बन जाता है, जो शरीर को ऊर्जा देता है और पाचन को बढ़ावा देता है। थकान से जल्दी परेशान होने वालों के लिए यह अत्यंत लाभकारी है।
ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मियों में लोग पांता भात को विशेष रूप से पसंद करते हैं। इसे खाने से शरीर में तुरंत ठंडक मिलती है और गर्मी की थकान दूर होती है। खेतों में काम करने वाले लोगों के लिए यह एकदम उपयुक्त भोजन है, हल्का और ताजगी देने वाला। यह बहुत किफायती है, जिससे गरीब से गरीब परिवार भी इसे आसानी से खा सकता है और पौष्टिकता प्राप्त कर सकता है।
आजकल लोग आधुनिक आहार और महंगे स्वास्थ्य सप्लीमेंट्स की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि हमारे पूर्वजों ने जो चीजें अपनाईं, वे समय से कहीं आगे थीं। पांता भात इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। यह परंपरा, स्वाद और स्वास्थ्य का सही संगम है।