क्या पाकिस्तान में महंगाई ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है?

सारांश
Key Takeaways
- महंगाई ने पाकिस्तान में खाद्य संकट को गंभीर बना दिया है।
- गेहूं की कीमतों में 30 से 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- सरकार के उपायों को लोग अपर्याप्त मानते हैं।
- बाढ़ ने कृषि उत्पादन को प्रभावित किया है।
- विशेषज्ञों का अनुमान है कि मुद्रास्फीति के आंकड़े बढ़ेंगे।
नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान, जो आर्थिक मंदी के संकट में घिरा हुआ नजर आ रहा है, बढ़ती कीमतों के कारण गंभीर खाद्य संकट का सामना कर रहा है। यह स्थिति आवश्यक वस्तुओं की मांग और आपूर्ति के बीच बढ़ते असंतुलन के कारण उत्पन्न हुई है। यह जानकारी एक नई रिपोर्ट में सामने आई है।
डायरेक्टस.जीआर की रिपोर्ट में बताया गया है कि अधिकांश लोगों के लिए भोजन और पोषण का मुख्य स्रोत गेहूं की कीमतों में पिछले एक महीने में 30 से 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "इससे पाकिस्तान के आम नागरिकों की समस्याएं बढ़ गई हैं, जो पहले से ही जीवन-यापन की बढ़ती लागत और आर्थिक अस्थिरता से प्रभावित हैं। सितंबर 2025 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में साल-दर-साल आधार पर 5.6 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली।"
बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति के कारण मांस और टमाटर जैसी महंगी वस्तुओं की खपत कम हो गई है।
लोगों ने खाद्य मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाने में सरकार की विफलता के प्रति रोष व्यक्त किया है, जिससे उनकी आजीविका पर संकट आ गया है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि समग्र मुद्रास्फीति के आंकड़े इस्लामाबाद सरकार और स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के पूर्वानुमान से अधिक होंगे।
पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने कहा था कि सरकार मूल्य स्थिरता के प्रति प्रतिबद्ध है।
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लोगों का मानना है कि सरकारी उपाय केवल प्रतीकात्मक हैं, जिससे कीमतों पर रोक नहीं लग पाई है।
इस्लामाबाद सरकार ने बाढ़ को कम कृषि उत्पादन और खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के लिए जिम्मेदार ठहराया है। विशेषज्ञों का मानना है कि बाढ़ और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारण खाद्य मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर बनी रहेगी।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को विनाशकारी बाढ़ ने प्रभावित किया है, जिससे कृषि उत्पादन पर असर पड़ा है और मुद्रास्फीति का दबाव फिर से बढ़ गया है। विश्व बैंक ने 2025-26 में पाकिस्तान के लिए केवल 2.6 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है।