क्या पालघर में 11 साल के छात्र पर तेंदुए का हमला हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- बच्चों का साहस महत्वपूर्ण होता है।
- साथी की मदद से बड़ी अनहोनी टल सकती है।
- स्थानीय समुदाय की सक्रियता से जान बचाई जा सकती है।
- प्राकृतिक खतरों से बच्चों को जागरूक करना आवश्यक है।
- सुरक्षा के उपायों पर ध्यान देने की जरूरत है।
पालघर, 22 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के पालघर जिले में एक 11 वर्षीय छात्र पर तेंदुए ने भयानक हमला किया। हालांकि, बच्चे ने साहस का परिचय दिया और उसके साथी ने समझदारी से कदम उठाया, जिससे बड़ी दुर्घटना टल गई। इस घटना ने पूरे इलाके में बच्चों के साहस की प्रशंसा का माहौल बना दिया है।
यह घटना मुंबई के निकट पालघर जिले के विक्रमगड़ तालुका की है। स्कूल से लौटते समय तेंदुए ने एक छात्र पर हमला कर दिया। छात्र का नाम मयंक विष्णु कुवरा है, जो 11 साल का है और 5वीं कक्षा का छात्र है। वह उटावली आदर्श विद्यालय में पढ़ता है। शाम को स्कूल खत्म होने के बाद वह माला पाडवीपाडा स्थित अपने घर लौट रहा था।
घर से स्कूल की दूरी लगभग 4 किलोमीटर है। शुक्रवार को जब वह लौट रहा था, तभी झाड़ियों से एक तेंदुआ निकलकर उस पर झपट पड़ा। तेंदुए का पहला हमला सीधे मयंक के कंधे पर उसके बैग पर हुआ, जिससे उसकी जान बच गई।
हालांकि, तेंदुए के पंजों से उसके हाथ में गहरे घाव हो गए। मयंक ने हिम्मत नहीं हारी, वह जोर से चिल्लाया और तेंदुए का विरोध किया। उसके साथ का दूसरा लड़का तेंदुए पर पत्थर फेंकने लगा। शोर सुनकर स्थानीय ग्रामीण दौड़कर आए, जिससे तेंदुआ जंगल की ओर भाग खड़ा हुआ। इस प्रकार मयंक की जान बच गई।
घायल मयंक को अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उसके हाथ की चोटों की मरहम पट्टी की गई है। मयंक की स्थिति स्थिर है और वह अब खतरे से बाहर है। तेंदुए से बचने के बाद मयंक की हिम्मत की काफी चर्चा हो रही है और लोग दोनों छात्रों की बहादुरी की सराहना कर रहे हैं।