क्या पंडित छन्नूलाल मिश्र का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ होगा?

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क्या पंडित छन्नूलाल मिश्र का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ होगा?

सारांश

पंडित छन्नूलाल मिश्र, एक प्रतिष्ठित संगीतकार, ने 91 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। उनका पार्थिव शरीर वाराणसी में श्रद्धांजलि के लिए लाया गया। उनके योगदान को याद करते हुए सभी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। जानें उनके जीवन के कुछ अनमोल पल और संगीत जगत में उनके योगदान के बारे में।

Key Takeaways

  • पंडित छन्नूलाल मिश्र का जीवन संगीत के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
  • उनका योगदान भारतीय संगीत को समृद्ध करता है।
  • राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
  • उन्होंने कई पीढ़ियों को संगीत सिखाया।
  • उनका जीवन संघर्ष और सफलता की प्रेरणा है।

वाराणसी, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पंडित छन्नूलाल मिश्र ने गुरुवार को 91 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। उनका निधन मिर्जापुर स्थित उनके पुत्री के निवास पर हुआ। लगभग एक बजे उनका पार्थिव शरीर वाराणसी के छोटी गैबी स्थित उनके आवास पर पहुंचा, जहां श्रद्धांजलि देने वालों की लंबी कतार लग गई।

आयुष मंत्री दया शंकर मिश्रा, जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार, पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल और पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह भी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

इस मौके पर जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने कहा कि पंडित छन्नूलाल का निधन संगीत जगत के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है। उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। यह वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर होगा।

पंडित छन्नूलाल मिश्र को उत्तर प्रदेश सरकार से कई पुरस्कार प्राप्त हुए थे। शास्त्रीय संगीत के अलावा, उन्होंने हिंदी फिल्म 'आरक्षण' में भी गाना गाया था, जो अभिनेता सैफ अली खान और अभिनेत्री दीपिका पादुकोण पर फिल्माया गया था।

आज देशभर में उनके सैकड़ों शिष्य हैं और वे देश-विदेश में कई कार्यक्रमों का हिस्सा रहे।

पंडित छन्नूलाल मिश्र ने एक बार बताया था कि उनका बचपन बहुत गरीबी में बीता। उनके पिता 10 रुपए का मनीऑर्डर भेजते थे, जिसमें 14 लोग कुछ दिनों तक खाना खाते थे। दाल-चावल के लिए तरस जाते थे और रोटी एवं इमली की चटनी खाकर रियाज करते थे। जब वे ठीक से गाते नहीं थे, तो उनके पिता उन्हें डांटते थे।

उन्होंने कहा, "जब से अंग्रेजी आई, तब से उत्तर प्रदेश की संस्कृति नष्ट हो गई। संगीत, साहित्य, और कला, यही तीनों संस्कृति का निर्माण करते हैं। अंग्रेजी के आने से हमारी संस्कृति में कमी आई।"

Point of View

बल्कि भारतीय संगीत को भी एक नई दिशा दी। ऐसे समय में, जब संगीत की परंपराएं आधुनिकता के प्रभाव में हैं, पंडित जी का योगदान हमें याद दिलाता है कि संस्कृति और कला की जड़ों को कभी नहीं भुलाना चाहिए।
NationPress
02/10/2025

Frequently Asked Questions

पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन कब हुआ?
पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन 2 अक्टूबर को हुआ।
उनका अंतिम संस्कार कहाँ होगा?
उनका अंतिम संस्कार वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा।
पंडित छन्नूलाल मिश्र को कौन-कौन से पुरस्कार मिले थे?
उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार से कई पुरस्कार मिले थे।
उन्होंने किन फिल्मों में गाने गाए?
उन्होंने हिंदी फिल्म 'आरक्षण' में गाना गाया था।
उनके कितने शिष्य हैं?
आज देशभर में उनके सैकड़ों शिष्य हैं।