क्या पंकज सिंह समकालीन साहित्य में अद्वितीय हैं?
सारांश
Key Takeaways
- पंकज सिंह का साहित्यिक योगदान महत्वपूर्ण है।
- उनकी कविताएं संघर्ष और विद्रोह की भावना को व्यक्त करती हैं।
- उन्होंने समाज को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नई दिल्ली, 21 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिंदी के समकालीन कवियों में पंकज सिंह का नाम अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनकी कविताएं संघर्ष, विद्रोह और मानवीय संवेदनाओं से भरी हुई हैं। उनकी प्रसिद्ध पंक्ति 'हम घिरे हैं गिरे नहीं' उनके साहसिक और बेबाक व्यक्तित्व को प्रदर्शित करती है।
पंकज सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1948 को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के एक छोटे से गाँव चैता में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुजफ्फरपुर से प्राप्त की और उसके बाद बिहार विश्वविद्यालय से इतिहास में एमए किया। इसके पश्चात वे दिल्ली आए और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में शोध कार्य के लिए दाखिला लिया। यहाँ का माहौल उनके साहित्यिक और बौद्धिक विकास में महत्वपूर्ण साबित हुआ, और वे लिटरेरी सोसायटी के अध्यक्ष बने।
उनके जीवन का महत्वपूर्ण समय सत्तर का दशक था, जिसमें उन्होंने अनेक सामाजिक-राजनीतिक घटनाओं का सामना किया। आपातकाल के दौरान उनकी कविता 'सम्राज्ञी आ रही है' ने उस समय की राजनीतिक स्थिति को उजागर किया।
पंकज सिंह ने 1970-80 के दशक की हिंदी कविता में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। उनके काम में मध्यवर्गीय संघर्ष, सत्ता के दमन, और सामाजिक विसंगतियों का गहरा चित्रण किया गया है। उनकी रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं और समाज में उम्मीद और संघर्ष की बातें करती हैं।
उन्हें उनके साहित्यिक योगदान के लिए मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, शमशेर सम्मान और नई धारा सम्मान जैसे पुरस्कार मिले। पंकज सिंह का निधन 26 दिसंबर 2015 को दिल्ली में हुआ।