क्या 'परी' ने दूसरे नेशनल कन्वेंशन में 'मिशन रेप फ्री इंडिया 2029' को मजबूती दी?
सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम
- नीति सुधार पर जोर
- ‘मिशन रेप फ्री इंडिया 2029’ का महत्व
- पीड़ितों की आवाज को सुनना
- समाज में जागरूकता फैलाना
नई दिल्ली, 16 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पीपल अगेंस्ट रेप इन इंडिया (परी) ने महिलाओं और बच्चों के प्रति हिंसा को समाप्त करने के उद्देश्य से दूसरा नेशनल कन्वेंशन सफलतापूर्वक आयोजित किया।
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित इस बैठक का मुख्य फोकस ‘मिशन रेप फ्री इंडिया 2029’ और ‘महिला एवं बाल सुरक्षा मिशन 2029’ पर रहा। जागरूकता से कार्रवाई की ओर अग्रसर इस कन्वेंशन में नीति सुधार, न्याय और पीड़ितों की सहायता पर विस्तृत चर्चा की गई।
इस अवसर पर सांसद मनोज तिवारी, अलका लांबा, डॉ. उदित राज, रामाशंकर राजभर सहित कई प्रमुख व्यक्ति उपस्थित थे। ‘पीड़ितों की आवाज’ सत्र में हाथरस और उन्नाव मामलों के परिवारों ने दिल को छू लेने वाली गवाहियां पेश कीं।
दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर रॉबिन हिबू ने कहा, "हर माता-पिता को अपनी बेटियों को आत्मरक्षा सिखानी चाहिए। मार्शल आर्ट हर लड़की का हुनर होना चाहिए। महिलाओं के लिए विशेष लैब और सपोर्ट सेंटर की स्थापना की जानी चाहिए।"
निर्भया की मां आशा देवी ने भावुक होते हुए कहा, "इतने साल बाद भी बेटी का ख्याल आते ही दिल दहल जाता है। देश सीमाओं की रक्षा करता है, लेकिन बेटियों की सुरक्षा कौन करेगा? मजबूत सिस्टम होना चाहिए जहां हर लड़की सुरक्षित और सम्मानित महसूस करे।"
‘परी’ की संस्थापक योगिता भयाना ने कहा, "लड़कियां रात में बाहर निकलने से डरती हैं, माता-पिता हिचकिचाते हैं। हमारा सपना है कि 2029 तक बलात्कार-मुक्त भारत हो, जहां बेटियां आजाद और सुरक्षित हों।"
कन्वेंशन के दौरान योगिता भयाना की किताब ‘रेप फ्री इंडिया’ का विमोचन किया गया। पीओएसएच एक्सीलेंस अवॉर्ड्स और भीमराव अंबेडकर जेंडर राइट्स चैंपियन अवॉर्ड्स से योगदानकर्ताओं को सम्मानित किया गया।
हर साल 3 लाख से अधिक यौन हिंसा के मामले दर्ज होते हैं। ‘परी’ पीड़ित सहायता, पॉलिसी एडवोकेसी और जागरूकता के माध्यम से 2029 तक बलात्कार-मुक्त भारत का लक्ष्य निर्धारित कर रहा है। यह कन्वेंशन सिस्टम सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।