क्या पार्थ चटर्जी को कैश फॉर जॉब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली?

सारांश
Key Takeaways
- पार्थ चटर्जी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली।
- सीबीआई ने जमानत का विरोध किया।
- रिहाई प्रक्रिया तीन महीने बाद शुरू होगी।
- सुप्रीम कोर्ट ने चार्ज फ्रेम करने का आदेश दिया है।
- पार्थ चटर्जी का मामला अभी समाप्त नहीं हुआ है।
नई दिल्ली, 18 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल के चर्चित कैश फॉर स्कूल जॉब घोटाले में शामिल पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को सुप्रीम कोर्ट से महत्वपूर्ण राहत प्राप्त हुई है। शीर्ष अदालत ने सोमवार को भ्रष्टाचार से संबंधित सीबीआई मामले में पार्थ चटर्जी को जमानत दी है। हालांकि, इस दौरान सीबीआई ने उनकी जमानत का कड़ा विरोध किया।
सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बावजूद पार्थ चटर्जी की रिहाई तुरंत नहीं होगी, बल्कि यह तीन महीने बाद निचली अदालत द्वारा निर्धारित बेल बॉंड पर निर्भर करेगी।
जस्टिस एमएम सुंदरेश की अध्यक्षता वाली बेंच ने निर्देश दिया कि ट्रायल कोर्ट इस मामले में चार्ज फ्रेम करने की प्रक्रिया 4 हफ्तों के भीतर पूरी करे। इसके बाद अगले 2 महीने में गवाहों की गवाही भी पूरी की जाए। इसी प्रक्रिया के बाद पार्थ चटर्जी की रिहाई का मार्ग प्रशस्त होगा।
यह पहली बार नहीं है जब पार्थ चटर्जी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। इससे पहले 13 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले (ईडी केस) में उन्हें जमानत दी थी। उस आदेश के तहत भी उनकी जमानत 1 फरवरी 2025 से लागू हुई थी, अर्थात लगभग तीन महीने बाद। बिल्कुल उसी तरह अब सीबीआई केस में भी उनकी रिहाई तीन महीने बाद होगी।
ज्ञात हो कि पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को स्कूल जॉब के लिए कैश मामले में 151.26 करोड़ रुपए के कुल घोटाले में सबसे ज्यादा लाभार्थी बताया गया है, जैसा कि इसके पांचवें और अंतिम पूरक आरोपपत्र में विस्तार से उल्लेखित किया गया है।
कोलकाता में विशेष धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) अदालत में दायर पूरक आरोपपत्र के अनुसार, ईडी द्वारा अब तक जब्त की गई कुल 151.26 करोड़ रुपए की राशि में से चटर्जी और मुखर्जी की संयुक्त हिस्सेदारी पूरी राशि में 103.78 करोड़ रुपये है। जब्त की गई राशि में नकदी और सोना तथा कुर्क की गई अचल संपत्ति शामिल है।