क्या पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने 'दागी उम्मीदवारों' को प्रतिबंधित किया?

सारांश
Key Takeaways
- पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला महत्वपूर्ण है।
- भ्रष्टाचार में शामिल उम्मीदवारों को दागी घोषित किया गया।
- भविष्य की परीक्षाओं में दागी उम्मीदवारों का चयन नहीं होगा।
- राज्य सरकार को भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी।
- इस निर्णय से प्रभावित उम्मीदवारों में निराशा है।
कोलकाता, 1 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि जिन उम्मीदवारों पर 2016 की राज्य स्तरीय चयन परीक्षा (एसएलएसटी) में अनुचित साधनों का उपयोग करने का आरोप सिद्ध हुआ है, वे भविष्य की शिक्षा मित्र या अन्य भर्ती परीक्षाओं में भाग नहीं ले सकेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व के फैसले को दोहराते हुए ऐसे उम्मीदवारों को किसी भी भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने से पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है, जिन पर आरोप सिद्ध हुए हैं। इस घोटाले के कारण हजारों शिक्षक नियुक्तियाँ रद्द की गई थीं, जिसके बाद मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचा।
पश्चिम बंगाल विद्यालय सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) ने शनिवार को 1,804 ‘दागी’ शिक्षकों की सूची जारी की, जिन पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का आरोप है। याचिकाकर्ता के वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने पत्रकारों को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार में शामिल उम्मीदवारों को 'दागी' करार देते हुए किसी भी भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने से रोक दिया है।
उन्होंने कहा, "भ्रष्टाचार और अनियमितताओं में सीधे तौर पर शामिल उम्मीदवारों को 'दागी' करार दिया गया था। सुप्रीम न्यायालय ने कहा है कि इन दागी उम्मीदवारों का चयन नहीं किया जाएगा और न ही उन्हें नई चयन प्रक्रिया में भाग लेने दिया जाएगा। अब, कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि वे दागी नहीं हैं, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसे दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।"
इस फैसले से प्रभावित उम्मीदवारों में निराशा है, जबकि प्रशासन ने इसे भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि भविष्य में भर्ती प्रक्रियाओं में सख्ती बरती जाए ताकि ऐसी अनियमितताएं दोबारा न हों।