क्या पश्चिम बंगाल अब महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं? राज्यपाल सीवी आनंद बोस

सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं की सुरक्षा एक गंभीर समस्या है।
- राज्य में यौन अपराधों की बढ़ती घटनाएँ चिंताजनक हैं।
- पुलिस प्रशासन को अपनी जिम्मेदारियों का पालन करना चाहिए।
- राज्यपाल की टिप्पणियाँ समाज की असुरक्षा को उजागर करती हैं।
- कानून-व्यवस्था बनाए रखना पुलिस का मुख्य कार्य है।
कोलकाता, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने बुधवार को कहा कि राज्य अब महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं रह गया है। उनकी यह टिप्पणी उस घटना के बाद आई है, जिसमें पश्चिम बर्धवान जिले के दुर्गापुर स्थित एक निजी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की द्वितीय वर्ष की दलित मेडिकल छात्रा के साथ गैंगरेप किया गया।
उन्होंने कहा, "दुर्गापुर में हुई हालिया बलात्कार की घटना कोई अकेली घटना नहीं है। यह लगातार हो रहे अपराधों की श्रृंखला का हिस्सा है। पश्चिम बंगाल अब महिलाओं और लड़कियों के लिए सुरक्षित नहीं है, जो समाज में गहरी जड़ें जमाए एक गंभीर समस्या का संकेत देती है।"
राज्यपाल ने आगे कहा कि किसी समाज की असली ताकत इस बात पर निर्भर करती है कि महिलाएं वहां कितनी सुरक्षित महसूस करती हैं। इस पैमाने पर देखा जाए तो यह कहना होगा कि पश्चिम बंगाल में महिलाएं आज डर के साये में जी रही हैं।
उन्होंने यह टिप्पणी कोलकाता स्थित चैंबर ऑफ कॉमर्स के एक कार्यक्रम के दौरान की। उन्होंने राज्य में यौन अपराधों की लगातार हो रही घटनाओं के लिए अप्रत्यक्ष रूप से सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
राज्यपाल ने कहा कि जो हम अभी देख रहे हैं, वह तो बस एक छोटी सी झलक है। इसके पीछे एक गहरी समस्या छिपी है, जो व्यवस्था चलाने के लिए जिम्मेदार लोगों की अक्षमता का परिणाम है।
उन्होंने महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों के ऐसे मामलों से निपटने में अपेक्षित कार्रवाई न करने के लिए राज्य के पुलिस प्रशासन की भी आलोचना की।
उन्होंने कहा कि पुलिस का मुख्य काम राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखना है। एक राज्यपाल होने के नाते, मैं यह नहीं कह सकता कि यहां पुलिस प्रशासन उम्मीद के अनुरूप काम कर रहा है। पश्चिम बंगाल की मौजूदा स्थिति एक 'सॉफ्ट स्टेट' का संकेत देती है। पुलिस कानून लागू करने में आवश्यक भूमिका नहीं निभा रही है।
राज्यपाल बोस ने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना और कानूनी प्रावधानों को सख्ती से लागू करना पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी है।