क्या एनसीबीसी की सलाह से पश्चिम बंगाल की केंद्रीय ओबीसी सूची से 35 जातियों को हटाया जाएगा?

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क्या एनसीबीसी की सलाह से पश्चिम बंगाल की केंद्रीय ओबीसी सूची से 35 जातियों को हटाया जाएगा?

सारांश

पश्चिम बंगाल की केंद्रीय ओबीसी सूची से 35 जातियों को हटाने की एनसीबीसी की सिफारिश ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। क्या यह कदम वास्तव में ओबीसी आरक्षण के दुरुपयोग को खत्म करेगा या यह नई राजनीतिक विवादों को जन्म देगा? जानें इस महत्वपूर्ण मुद्दे के बारे में।

Key Takeaways

  • एनसीबीसी ने 35 जातियों को हटाने की सिफारिश की है।
  • इन जातियों का संबंध मुस्लिम समुदाय से है।
  • यह कदम ओबीसी आरक्षण के दुरुपयोग को रोकने का प्रयास है।
  • अमित मालवीय ने इसे ममता बनर्जी की नीतियों का परिणाम बताया।
  • इस मुद्दे ने राजनीतिक और सामाजिक न्याय की बहस को नया मोड़ दिया है।

नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने पश्चिम बंगाल की केंद्रीय ओबीसी सूची से 35 जातियों को हटाने की सिफारिश की है। इन सभी 35 जातियों का संबंध मुस्लिम समुदाय से है। इस कदम ने राजनीति और सामाजिक न्याय की बहस को नई दिशा देने का कार्य किया है।

भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए कहा कि दशकों से तुष्टीकरण आधारित नीतियों के कारण ओबीसी आरक्षण का दुरुपयोग हुआ है और असल में पिछड़ी हिंदू जातियों का हक छीना गया है। केंद्र सरकार वोट बैंक राजनीति से उत्पन्न विकृतियों को सुधारने का प्रयास कर रही है।

2 दिसंबर को लोकसभा में भाजपा सांसद जगन्नाथ सरकार ने केंद्रीय ओबीसी सूची के संबंध में प्रश्न उठाया। उन्होंने जानना चाहा कि 2011 में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा भेजी गई 46 जातियों की सूची में से 37 जातियों को फरवरी 2014 में केंद्र ने अधिसूचित किया था। इनमें से कितनी जातियां अब कोलकाता हाई कोर्ट के उस फैसले के दायरे में हैं, जिसने 2010 के बाद जारी ओबीसी प्रमाणपत्रों को अवैध ठहराया था? क्या एनसीबीसी इन जातियों की समीक्षा कर रहा है और क्या इन्हें केंद्रीय सूची से हटाया जा सकता है? क्या इस प्रक्रिया के लिए कोई समयसीमा निर्धारित है?

सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री बीएल वर्मा ने इस पर विस्तृत उत्तर दिया।

पश्चिम बंगाल ने 46 जातियों को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने की सिफारिश की थी। एनसीबीसी ने इनमें से 37 जातियों को 9 नवंबर 2011 को शामिल करने की सिफारिश की थी, जिसके आधार पर 17 फरवरी 2014 को गजट अधिसूचना जारी की गई। एनसीबीसी ने 3 जनवरी 2025 को 35 जातियों को केंद्रीय ओबीसी सूची से हटाने की सलाह दी है।

अमित मालवीय ने इसे ममता बनर्जी सरकार की पक्षपातपूर्ण और वोट बैंक केंद्रित नीतियों का परिणाम बताया। उनके अनुसार, धार्मिक आधार पर समुदायों को ओबीसी श्रेणी में जोड़ना न केवल असंवैधानिक था, बल्कि इससे असली पिछड़े वर्गों को नुकसान पहुंचा है।

Point of View

बल्कि यह सामाजिक न्याय के संदर्भ में भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। एनसीबीसी की सिफारिशें पश्चिम बंगाल में सामाजिक संतुलन को प्रभावित कर सकती हैं, जो कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच एक नई बहस को जन्म दे सकती हैं।
NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या एनसीबीसी की सिफारिश के बाद जातियों को हटाया जा सकता है?
हां, एनसीबीसी की सिफारिश के आधार पर ये जातियां हटाई जा सकती हैं, यदि कानून में कोई संशोधन होता है।
क्या यह कदम ओबीसी आरक्षण को सुधारने में मदद करेगा?
यह कदम ओबीसी आरक्षण के दुरुपयोग को रोकने में मदद कर सकता है, लेकिन इसके परिणामों का आकलन समय के साथ ही किया जा सकेगा।
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