क्या पटना के पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्था प्रभावित हो रही है?

सारांश
Key Takeaways
- जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं।
- मरीजों को बिना इलाज के लौटना पड़ रहा है।
- जेडीए ने मांगों के पूरा न होने तक हड़ताल जारी रखने का फैसला किया है।
- बॉन्ड अवधि की समस्या प्रमुख मांगों में से एक है।
- स्वास्थ्य विभाग से वार्ता में कोई प्रगति नहीं हुई है।
पटना, 18 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में स्वास्थ्य सेवाएं लगभग ठप हो गई हैं। जूनियर डॉक्टरों द्वारा विभिन्न मांगों के चलते हड़ताल पर जाने के कारण मरीजों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सूत्रों के अनुसार, ओपीडी में आने वाले मरीजों को बिना इलाज के लौटना पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त, अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए भी स्थिति कठिन हो गई है। आपातकालीन सेवा को छोड़कर, ओपीडी, वार्ड और ऑपरेशन थिएटर में सभी गतिविधियाँ रुक गई हैं।
जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जेडीए) ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे सेवाएं जारी नहीं रखेंगे। यह आंदोलन बॉन्ड पोस्टिंग की अवधि को सीनियर रेसिडेंसी के रूप में मान्यता देने, वेतन वृद्धि, मेरिट कम च्वाइस आधारित पोस्टिंग, वेटिंग पीरियड को बॉन्ड अवधि में शामिल करने और पहले से अर्जित वेतन की मांगों पर केंद्रित है।
जूनियर डॉक्टर प्राची ने कहा कि हमारी कई मांगें हैं। इनमें सबसे प्रमुख है कि बॉन्ड अवधि को तीन साल से घटाकर एक साल किया जाए तथा बॉन्ड तोड़ने की पेनाल्टी 25 लाख रुपए से घटाकर 10 लाख रुपए की जाए।
जूनियर डॉक्टर सत्यम ने कहा कि हम लोगों की पांच से छह मांगें हैं। इन मांगों को लेकर पिछले दो साल से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, सुपरिटेंडेंट और प्रिंसिपल से बातचीत कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है। इस बार भी इन मांगों को लेकर दो पत्र दिए गए हैं, लेकिन अब तक उन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इसके बाद हमने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है।
उन्होंने आगे कहा कि हमारे साथ भेदभाव हो रहा है। हमारी मुख्य मांगों में बॉन्ड की अवधि एक साल करने की आवश्यकता है। सीनियर रेसिडेंट के रूप में हमारी सेवा को बॉन्ड पूरा मानना चाहिए, ताकि सुपर स्पेशलिटी कोर्स करने वाले डॉक्टरों को राहत मिले।