क्या पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में भारी मतों से पराजित उम्मीदवारों से परहेज किया जाएगा?: तारिक अनवर

सारांश
Key Takeaways
- बिहार विधानसभा चुनाव की तिथि निर्धारित की जा चुकी है।
- कांग्रेस ने पिछले चुनावों से सीखते हुए उम्मीदवारों का चयन करने का निर्णय लिया है।
- तारिक अनवर ने इंडिया गठबंधन में बातचीत जारी रहने की बात कही।
- दुर्व्यवहार के मामलों पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।
- चुनाव आयोग से स्पष्टता की मांग की गई है।
नई दिल्ली, 11 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव का अधिसूचना जारी हो चुका है। इस बार राज्य में दो चरणों में मतदान होना है। पहले चरण के मतदान की तिथि 6 नवंबर और दूसरे चरण की 11 नवंबर है, जबकि परिणामों की घोषणा 14 नवंबर को की जाएगी। ऐसे में सभी राजनीतिक दल चुनावी मैदान में विजय प्राप्त करने के लिए सक्रिय हो गए हैं।
इस समय अधिकांश दल अपने उम्मीदवारों के चयन में व्यस्त हैं। इसी बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस के उम्मीदवारों की घोषणा अब अंतिम चरण में है। उन्हें उम्मीद है कि उम्मीदवारों के चयन में कोई भेदभाव नहीं होगा और पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में भारी मतों से हारने वाले उम्मीदवारों से परहेज किया जाएगा।
तारिक अनवर ने कांग्रेस के भीतर इंडिया गठबंधन के सीट बंटवारे पर भी स्पष्ट किया कि इस मुद्दे पर कोई मतभेद नहीं है और चर्चा जारी है।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में कहा, "इंडिया गठबंधन में कोई असमंजस नहीं है। बातचीत जारी है और सभी दलों की सम्मान किया जाएगा। चुनाव के दौरान जल्दबाजी में कोई निर्णय लेने की आवश्यकता नहीं है। सभी दल चुनावी तैयारियों के प्रति जागरूक हैं और हम लगातार चर्चा कर रहे हैं। हमारे पास अभी भी पर्याप्त समय है।"
तारिक अनवर ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के संदर्भ में कहा, "जिन लोगों के नाम हटाए गए हैं, उनकी सूची प्रकाशित करने का अनुरोध किया गया है और कारण भी बताने चाहिए। हम चाहते हैं कि चुनाव आयोग बताए कि नाम क्यों, कैसे और किस आधार पर हटाए गए।"
हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले पर तारिक अनवर ने कहा, "यह बेहद गंभीर है। शिकायत दर्ज हो चुकी है, इसलिए इसकी सत्यता पर विश्वास करना उचित है। दलित परिवार से आने वाले एक आईपीएस अधिकारी का आत्महत्या के लिए मजबूर होना गंभीर चिंता का विषय है। सरकार को इसे बहुत गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों, खासकर दलितों के साथ लगातार हो रहा दुर्व्यवहार बेहद परेशान करने वाला है और आज भी जारी है।"