क्या पायलटों को दोषी ठहराना सही है? अधीर रंजन चौधरी

सारांश
Key Takeaways
- पायलटों पर दोषारोपण उचित नहीं है।
- विमान कंपनी की तकनीकी समस्याएँ भी ध्यान में रखी जानी चाहिए।
- सही जांच के बाद ही निष्कर्ष पर पहुँचें।
- दुर्घटनाएँ हो सकती हैं, लेकिन जिम्मेदारी का सही निर्धारण आवश्यक है।
बरहामपुर, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। अहमदाबाद विमान दुर्घटना की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट अब सामने आ चुकी है। भारतीय विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने इस हादसे की जिम्मेदारी पायलटों पर डालने का प्रयास किया है। इस पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पायलटों को दोषी ठहराना उचित नहीं है, क्योंकि लोग कठिन मेहनत और लगन से पायलट बनते हैं।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि हमारे देश के पायलट कड़ी मेहनत, लगन और शिक्षा के माध्यम से अपनी पहचान बनाते हैं। वहीं, यह भी सामने आया है कि विमान के स्वामित्व वाली कंपनी ने एक विशेष स्विच में समस्या का बार-बार जिक्र किया था। आरोप है कि समस्याओं के बारे में जानकारी होने के बावजूद उन्होंने निगरानी और उसे सही करने की अनदेखी की। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण इस दुर्घटना में मारे गए दो पायलटों पर सारी जिम्मेदारी डालकर खुद को जिम्मेदारी से मुक्त करने का प्रयास कर रहा है।
उन्होंने कहा कि सारा दोष और जिम्मेदारी पायलटों के कंधों पर डाल दी जा रही है, इसकी उचित जांच होनी चाहिए। विमान कंपनी बोइंग और अन्य बड़े विशेषज्ञों को बुलाकर और सभी जानकारियों का विश्लेषण करने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाना चाहिए। हालांकि, मुझे नहीं लगता कि इन दो पायलटों को दोषी ठहराना और अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ना उचित है।
बता दें कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के अनुसार, एयर इंडिया का विमान टेकऑफ करने के 32 सेकंड बाद ही आग का गोला बन गया। जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि टेकऑफ के तुरंत बाद विमान के दोनों इंजन बंद हो गए थे, जिसके कारण यह दुर्घटना हुई। इस विमान हादसे में करीब 270 यात्रियों की जान गई थी, जिनमें दोनों पायलट शामिल थे।