क्या पीएम मोदी आज दिल्ली में 11 हजार करोड़ की दो प्रमुख राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे?

सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री मोदी का उद्घाटन कार्यक्रम आज होगा।
- इन परियोजनाओं की लागत लगभग 11 हजार करोड़ रुपये है।
- यातायात सुगमता और यात्रा समय में कमी का लक्ष्य है।
- पर्यावरणीय पहल को भी ध्यान में रखा गया है।
- यह परियोजनाएँ नागरिकों के जीवन को आसान बनाएंगी।
नई दिल्ली, 17 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में करीब 11 हजार करोड़ रुपए की दो प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं- शहरी विस्तार सड़क-2 (यूईआर-2) के दिल्ली खंड और द्वारका एक्सप्रेसवे का उद्घाटन करेंगे। यह कार्यक्रम दोपहर 12:30 बजे दिल्ली के रोहिणी में आयोजित होगा, जहाँ वह एक जनसमूह को भी संबोधित करेंगे।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने बताया कि उत्तर-पश्चिम दिल्ली के रोहिणी में इन परियोजनाओं का औपचारिक उद्घाटन किया जाएगा।
पीएमओ ने कहा, "ये पहलकदमी प्रधानमंत्री मोदी के विश्वस्तरीय बुनियादी ढाँचे के निर्माण के दृष्टिकोण को दर्शाती हैं, जो निर्बाध गतिशीलता सुनिश्चित करती हैं।"
इन परियोजनाओं का लक्ष्य दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों में यातायात को सुगम बनाना, यात्रा समय को कम करना और राजधानी में भीड़भाड़ से राहत प्रदान करना है। इसके जरिए प्रधानमंत्री मोदी का वह विजन साकार होगा, जिसके तहत नागरिकों के जीवन को सरल बनाने के लिए विश्वस्तरीय अवसंरचना का निर्माण किया जा रहा है।
इस खंड की लंबाई 10.1 किलोमीटर है और इसकी लागत लगभग 5,360 करोड़ रुपए है। यह खंड यशोभूमि, दिल्ली मेट्रो की ब्लू लाइन और ऑरेंज लाइन, आगामी बिजवासन रेलवे स्टेशन और द्वारका क्लस्टर बस डिपो को बहु-मॉडल कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। इसमें दो पैकेज शामिल हैं। पहले पैकेज में शिव मूर्ति इंटरसेक्शन से द्वारका सेक्टर-21 के रोड अंडर ब्रिज तक 5.9 किलोमीटर का हिस्सा है। दूसरे पैकेज में द्वारका सेक्टर-21 आरयूबी से दिल्ली-हरियाणा सीमा तक 4.2 किलोमीटर का हिस्सा है, जो सीधे अर्बन एक्सटेंशन रोड-2 से जुड़ेगा।
गौरतलब है कि द्वारका एक्सप्रेसवे के 19 किमी लंबे हरियाणा खंड का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने 11 मार्च, 2024 को किया था। पूरे 28 किमी लंबे कॉरिडोर का निर्माण 8,611 करोड़ रुपये की लागत से हुआ था।
निर्माण में पर्यावरणीय पहलों को शामिल किया गया है, जिसमें गाजीपुर लैंडफिल से प्राप्त 20 लाख टन कचरे का उपयोग यूईआर-2 के विकास में किया गया है, जिससे कचरे के पहाड़ की ऊंचाई सात मीटर कम हो गई है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस साल की शुरुआत में दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान इस पर जोर दिया था।
एनएचएआई के एक अधिकारी ने बताया कि हम टिकाऊ बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देने के लिए राजमार्ग निर्माण में पुराने कचरे के जैव-खनन से प्राप्त निष्क्रिय सामग्रियों का उपयोग कर रहे हैं। अधिकारी ने आगे कहा कि मिट्टी, गाद, पत्थर और निर्माण मलबा जैसी ये निष्क्रिय सामग्रियाँ स्थिर हैं और तटबंधों को भरने, सबग्रेड लेयरिंग और सर्विस रोड के लिए उपयुक्त हैं।