क्या उडुपी जनसंघ और भाजपा के सुशासन मॉडल का केंद्र रहा है? पीएम मोदी ने कहा
सारांश
Key Takeaways
- उडुपी का आध्यात्मिक और राजनीतिक महत्व
- भगवद्गीता के सामूहिक पाठ का महत्व
- जनसंघ और भाजपा का सुशासन मॉडल
- अयोध्या यात्रा का संदर्भ
- गुजरात और उडुपी के बीच संबंध
उडुपी, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक के उडुपी में शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में कहा कि उनके लिए उडुपी की धरती पर पहुंचना हमेशा एक अद्भुत अनुभव रहा है और इस बार यह अवसर कई कारणों से और भी खास बन गया है।
उन्होंने गुजरात और उडुपी के बीच आध्यात्मिक संबंधों को याद करते हुए बताया कि यहां स्थापित भगवान श्री कृष्ण की विग्रह की पूजा पहले द्वारका में माता रुक्मिणी करती थीं। बाद में जगद्गुरु श्री माधवाचार्य ने इस प्रतिमा को उडुपी में स्थापित किया।
पीएम मोदी ने कहा, "मेरा जन्म गुजरात में हुआ है। गुजरात और उडुपी के बीच गहरा और विशेष संबंध रहा है। इस प्रतिमा के दर्शन ने मुझे आत्मीय और आध्यात्मिक आनंद दिया है।"
उडुपी की राजनीतिक और सामाजिक परंपराओं को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह क्षेत्र जनसंघ और भाजपा के सुशासन मॉडल का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। 1968 में उडुपी के लोगों ने जनसंघ के वीएस आचार्य को नगरपालिका परिषद में विजयी बनाकर एक नए गवर्नेंस मॉडल की नींव रखी थी।
पीएम मोदी ने कहा, "गीता के पवित्र श्लोकों का पाठ सदियों से होता आ रहा है, लेकिन जब लाखों लोग एक साथ इन श्लोकों का जाप करते हैं तो एक अनोखी ताकत पैदा होती है। यह मन को मजबूत करती है और अंदर की शांति को स्थिर करती है। यही वह एनर्जी है जो आध्यात्मिकता को बढ़ाती है और यही वह ऊर्जा है जो सामाजिक एकता को गहरा करती है।"
कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने अयोध्या यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि कुछ ही दिन पहले 25 नवंबर को राम जन्मभूमि मंदिर में धर्म ध्वज स्थापित किया गया और इस ऐतिहासिक क्षण को पूरे देश ने देखा। अयोध्या से उडुपी तक श्री राम के अनगिनत भक्तों ने इस पावन पल का साक्षात्कार किया। पूरा राष्ट्र जानता है कि राम मंदिर आंदोलन में उडुपी की क्या महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले वर्ष वे समुद्र के भीतर स्थित श्री द्वारका जी के दर्शन करने गए थे और वहां से भी उन्हें आशीर्वाद प्राप्त हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि तीन दिन पहले ही वे गीता की भूमि कुरुक्षेत्र में थे और अब भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से उडुपी पहुंचना उनके लिए अत्यंत संतोष का अवसर है।
कार्यक्रम में लगभग 1 लाख लोगों ने एक साथ भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ किया, जिसे पीएम मोदी ने भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक शक्ति का अद्वितीय उदाहरण बताया।
प्रधानमंत्री ने कहा, "आज पूरे विश्व ने भारत की हजारों वर्षों की दिव्यता का साक्षी भाव से दर्शन किया है।"