क्या पीएम मोदी ने खरना के अवसर पर छठ पूजा के लिए शुभकामनाएं दीं?
सारांश
Key Takeaways
- छठ पूजा का महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से है।
- खरना दिन व्रतियों के लिए विशेष होता है, जिसमें वे उपवास रखते हैं।
- पीएम मोदी ने इस अवसर पर शुभकामनाएं दी हैं, जो राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।
नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की शुरुआत शनिवार से हो चुकी है और रविवार को इसका दूसरा दिन खरना मनाया जा रहा है। इस अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया के माध्यम से देशवासियों को खरना की शुभकामनाएं दीं।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक नोट साझा किया, जिसमें उन्होंने दिनेश लाल यादव का छठ गीत 'सुख लेके उगिह दुख लेके डुबिह' भी साझा किया।
नोट में उन्होंने लिखा, "आप सभी को महापर्व छठ खरना पूजा की असीम शुभकामनाएं। सभी व्रतियों को सादर नमन! श्रद्धा और संयम के प्रतीक इस पावन अवसर पर गुड़ से तैयार खीर के साथ ही सात्विक प्रसाद ग्रहण करने की परंपरा रही है। मेरी कामना है कि इस अनुष्ठान पर छठी मइया हर किसी को अपना आशीर्वाद दें।"
गीत 'सुख लेके उगिह दुख लेके डुबिह' को दिनेश लाल यादव ने अपनी मधुर आवाज में गाया है, जबकि इसके बोल अवधेश कुमार सिंह विमल बवारा ने लिखे हैं और संगीत अनिल अनमोल शर्मा ने दिया है। यह गीत छठ पूजा की भक्ति और भावना को दर्शाता है।
बता दें, छठ पूजा का पहला दिन शनिवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया था। व्रतियों ने गंगाजल से स्नान कर अरवा चावल, चना दाल, लौकी की सब्जी और आंवले की चटनी का प्रसाद ग्रहण किया।
खरना के दिन व्रती पूरे दिन बिना अन्न-जल के उपवास रखती हैं और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर और रोटी बनाकर छठी मइया को प्रसाद के तौर पर अर्पित की जाती है। पूजा के बाद व्रती उसे ही प्रसाद के रूप में ग्रहण करती हैं और कठिन निर्जला व्रत करती हैं। खरना का प्रसाद व्रतियों का अंतिम सात्विक भोजन होता है, जो मन और शरीर को तपस्या के लिए तैयार करता है।
धार्मिक मान्यता है कि खरना से लेकर पारण तक व्रतियों पर छठी मैया की विशेष कृपा बरसती है।