क्या पीएम मोदी ने 'वंदे मातरम' पर सकारात्मकता, तर्क और देशभक्ति की भावना से भरी चर्चा की?: मुख्तार अब्बास नकवी
सारांश
Key Takeaways
- मुख्तार अब्बास नकवी ने पीएम मोदी के भाषण की सराहना की।
- 'वंदे मातरम' की 150वीं वर्षगांठ का महत्व।
- पूर्व सरकारों की आलोचना और सांप्रदायिकता का मुद्दा।
- संसद में सकारात्मकता और देशभक्ति की भावना।
- भाजपा का जनादेश और वर्तमान सरकार का दृष्टिकोण।
नई दिल्ली, ८ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने 'वंदे मातरम' पर संसद में चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की सराहना की। उन्होंने कहा कि यदि जनता ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा को जनादेश नहीं दिया होता, तो अन्य सरकारें कभी 'वंदे मातरम' के १५० साल पूरे होने पर उसकी गौरवगाथा का गवाह जनता को नहीं बनने देतीं।
मुख्तार अब्बास नकवी ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "आज हर भारतीय को गर्व महसूस हो रहा है कि 'वंदे मातरम' की १५०वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में सकारात्मकता, तर्क और देशभक्ति की भावना से भरी चर्चा की शुरुआत की।"
भाजपा नेता ने पूर्व की सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा, "'वंदे मातरम' के साथ सांप्रदायिक छल किया गया। इस पर सांप्रदायिक विकृतियां थोपने की कोशिश की गई। सांप्रदायिक साजिशों के जरिए इसकी एकता को तोड़ने का प्रयास किया गया। यह शर्मनाक था कि जब पहले संसद सत्र होता था, तब 'वंदे मातरम' का गान होने पर कुछ राजनीतिक दल और उनके नेता बहिष्कार करते थे।"
उन्होंने आगे कहा, "ये वही पार्टियाँ थीं, जो अपने आप को धर्मनिरपेक्षता का सूरमा कहती हैं। 'वंदे मातरम' के विषय पर वे पार्टियाँ 'सांप्रदायिकता के चूर्मा' जैसा व्यवहार करती थीं। ऐसी पार्टियों ने अपने सांसदों को कभी 'वंदे मातरम' का गीत विरोध करने से नहीं रोका।"
मुख्तार अब्बास नकवी ने प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की और कहा कि आज देश में एक राष्ट्रवादी सरकार है। हम भाग्यशाली हैं कि जनता के जनादेश पर बनी 'मोदी सरकार' संसद में 'वंदे मातरम' पर चर्चा करा रही है, जहां गर्व के साथ उस गाथा का गुणगान भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि जनता ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा को जनादेश नहीं दिया होता, तो मुझे नहीं लगता कि कोई अन्य सरकार 'वंदे मातरम' के १५० साल पूरे होने पर हम सभी उसकी गौरव गाथा और गौरवशाली क्षण के गवाह नहीं बनते।
भाजपा प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी ने विस्तार से बताया कि कैसे कांग्रेस पार्टी ने 'वंदे मातरम' को लेकर समझौता किया और कैसे १९३७ के बाद इस गीत के कुछ अंशों को दबाव के कारण हटा दिया गया और किस प्रकार इसे पूरी तरह से अपनाया नहीं गया। तो एक-एक बात प्रधानमंत्री ने खोलकर रख दी।"