क्या प्रधानमंत्री मोदी के साथ कुछ भी असंभव नहीं है? : सीएम सरमा
सारांश
Key Takeaways
- हिंदू
- प्रधानमंत्री मोदी
- असम में बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या गंभीर है।
- पूर्व सरकारों की लापरवाही ने समस्या को बढ़ाया।
- राजनीतिक इच्छाशक्ति से ही समाधान संभव है।
राघुनाथपुर, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बिहार के रघुनाथपुर में एक चुनावी सभा के दौरान कहा कि हिंदुओं को गर्व से यह कहना चाहिए, 'हम हिंदू हैं।' जब हम साहस के साथ ऐसा कहते हैं, तो कुछ भी संभव हो जाता है। और जब प्रधानमंत्री मोदी हमारे साथ होते हैं, तो असंभव कुछ भी नहीं है।
सरमा ने सभा में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए बताया, "जो लोग सीमा पार बांग्लादेश से आए हैं, उन्होंने असम की ज़मीन पर कब्जा कर लिया है। लगभग 1 लाख एकड़ भूमि पर उन्होंने अतिक्रमण कर लिया है।"
सीएम सरमा ने कहा कि असम की बड़ी मात्रा में ज़मीन पर बांग्लादेश से आए लोगों ने कब्जा कर लिया है और यह समस्या कांग्रेस शासन के दौरान बढ़ी है।
उन्होंने बताया कि जब उन्होंने अधिकारियों से इस बड़े पैमाने पर हुई ज़मीन कब्जे के बारे में पूछा, तो उन्हें एक चौंकाने वाला जवाब मिला।
सरमा ने कहा कि अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से बताया कि यह अतिक्रमण कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ और तब कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
उन्होंने कहा, "मैंने पूछा कि इतनी ज़मीन पर कब्जा कैसे हो गया? अधिकारियों ने कहा कि यह सब कांग्रेस शासन के समय हुआ और अब उनके पास कोई प्रभावी उपाय नहीं है। उन्होंने बताया कि इस समय वे कुछ खास नहीं कर सकते।"
सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने आगे कहा कि असम में घुसपैठ और अतिक्रमण की समस्या इतनी गंभीर हो चुकी है कि यह केवल ज़मीन का सवाल नहीं, बल्कि असम की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान से जुड़ा एक बड़ा मुद्दा बन गया है।
उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि अवैध कब्जे हटाए जाएं, लेकिन पूर्व सरकारों की लापरवाही के कारण यह चुनौती और कठिन हो गई है।
सरमा ने कहा कि वर्तमान प्रशासन इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए कदम उठा रहा है, लेकिन यह एक लंबी प्रक्रिया है जिसमें राजनीतिक इच्छाशक्ति की सबसे ज्यादा ज़रूरत है।
उन्होंने कांग्रेस पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि घुसपैठियों को संरक्षण देने का परिणाम आज असम भुगत रहा है। सरमा ने कहा कि अगर पूर्व सरकारें सख्त रुख अपनातीं तो आज असम को इतना बड़ा नुकसान नहीं झेलना पड़ता।
उन्होंने कहा कि असम की ज़मीन, संस्कृति और पहचान को बचाने के लिए कड़े कदम उठाना आवश्यक है और उनकी सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है।