क्या प्रबोधिनी एकादशी पर प्रयागराज के यमुना घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी?
सारांश
Key Takeaways
- प्रबोधिनी एकादशी का विशेष महत्व है।
- यमुना में स्नान और तुलसी विवाह का आयोजन होता है।
- इस पर्व पर भक्त अपनी इच्छाओं के लिए प्रार्थना करते हैं।
- प्रयागराज में मेला भी लगता है।
- इस वर्ष एकादशी 1 और 2 नवंबर को मनाई जा रही है।
प्रयागराज, 1 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रबोधिनी एकादशी, जिसे देव उठनी एकादशी भी कहा जाता है, के अवसर पर प्रयागराज के यमुना घाट पर भक्तों की एक विशाल भीड़ उमड़ पड़ी है। यहां तुलसी विवाह की धूमधाम से तैयारी चल रही है, और भक्तों ने ब्रह्म मुहूर्त से ही यमुना में स्नान करना शुरू कर दिया है।
प्रयागराज के बलुआ घाट पर तुलसी-शालिग्राम विवाह का नज़ारा अद्भुत है। इस अवसर पर भक्तों ने तुलसी और भगवान विष्णु के प्रतीक शालिग्राम के विवाह की रस्म अदा की और माता तुलसी एवं भगवान शालिग्राम से अपनी इच्छाएँ मांगीं।
प्रबोधिनी एकादशी के अवसर पर घाट पर मौजूद पुजारी ने एकादशी का महत्व स्पष्ट किया। राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में पुजारी ने कहा, "आज पवित्र स्नान का दिन है, जिसमें महारानी तुलसी और शालिग्राम जी का औपचारिक विवाह मनाया जाता है। परंपरा के अनुसार, भगवान विष्णु ने राक्षस जालंधर को पराजित करने के लिए उसकी पत्नी वृंदा की भक्ति को भंग किया था, और वृंदा ने श्री हरि को श्राप दिया था।"
यह भी ध्यान देने योग्य है कि वृंदा ने श्री हरि विष्णु से न्याय की मांग की थी और तब भगवान विष्णु ने वृंदा से कहा था कि जब तुम यह जीवन त्यागोगी, तब तुम तुलसी के पौधे के रूप में जन्म लोगी। उस समय मैं तुम्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करूंगा।
प्रयागराज में एकादशी के अवसर पर मेला भी आयोजित होता है। यह मेला एक महीने तक चलता है और इस दौरान भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा की जाती है। महिला श्रद्धालुओं ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि "एकादशी के दिन, तुलसी विवाह किया जाता है और हम सुबह से स्नान कर घाट पर देवी तुलसी का शालिग्राम विवाह संपन्न कर रहे हैं। पूरे महीने यहां भक्त स्नान के लिए आते हैं और हम प्रार्थना करते हैं कि देवी तुलसी का शालिग्राम विवाह सभी की मनोकामनाएँ पूर्ण करे।"
इस बार एकादशी को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति बनी हुई है। देश के कुछ राज्यों में एकादशी 1 नवंबर को मनाई जा रही है, जबकि कुछ स्थानों पर इसे 2 नवंबर को मनाने की योजना है। एकादशी का मुहूर्त 1 नवंबर को सुबह 9 बजकर 12 मिनट से प्रारंभ होगा और अगले दिन 2 नवंबर को सुबह 7 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। वैदिक पंचांग के अनुसार, एकादशी का त्योहार 1 नवंबर को मनाया जा रहा है, जबकि उदया तिथि को लेकर कुछ स्थानों पर इसे 2 नवंबर को मनाने की बात कही जा रही है। मथुरा-वृंदावन में देवउठनी एकादशी 2 नवंबर को मनाई जाएगी।