क्या प्रधानमंत्री मोदी ने जैन समाज को सम्मानित किया?

सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैन गुरु विद्यानंद जी महाराज के सम्मान में डाक टिकट और सिक्का जारी किया।
- उन्हें धर्म चक्रवर्ती की उपाधि प्रदान की गई।
- इस कार्यक्रम में जैन समाज के महान संतों के योगदान को सराहा गया।
- प्रधानमंत्री ने अहिंसा और परमार्थ के सिद्धांतों की महत्वपूर्णता को उजागर किया।
नई दिल्ली, 28 जून (राष्ट्र प्रेस)। शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में जैन गुरु श्री विद्यानंद जी महाराज का जन्म शताब्दी समारोह मनाया गया। इस विशेष अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। समारोह के दौरान विद्यानंद महाराज के नाम पर एक डाक टिकट और सौ रुपए का सिक्का जारी किया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर कहा कि यह एक अनूठा आयोजन है, जो एक युग की स्मृति को जीवित करता है। भारत, जो विश्व की सबसे प्राचीन जीवंत सभ्यता है, के विचार, चिंतन और दर्शन आज भी अमर हैं, और इसके स्रोत हमारे संतों और मुनियों में छिपे हैं। उन्होंने बताया कि भारत ने दुनिया को अहिंसा का सन्देश दिया है। हमारे सेवा भाव का मूल सिद्धांत परमार्थ पर आधारित है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी को धर्म चक्रवर्ती की उपाधि प्रदान की गई। इस उपाधि को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि यह उनके लिए एक गर्व की बात है और वे इसे माँ भारती के चरणों में समर्पित करते हैं।
कार्यक्रम का आयोजन आचार्य प्रज्ञा सागर महाराज ने किया था और उन्होंने प्रधानमंत्री की उपस्थिति पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि विद्यानंद महाराज इस युग के महान संत थे। उनके ज्ञान और परोपकार के कार्यों की सराहना की गई।
आचार्य प्रज्ञा सागर महाराज ने कहा कि प्रधानमंत्री को दी गई उपाधि को उन्होंने सहजता से स्वीकार किया। अब से, उन्हें धर्म चक्रवर्ती नरेंद्र मोदी के नाम से जाना जाएगा।
कर्नाटक से आए भट्टारक स्वस्ति चारुकीर्ति महाराज ने कहा कि विद्यानंद महाराज का जैन समाज पर बड़ा उपकार है। उनके सम्मान में यह कार्यक्रम उनकी भक्ति का प्रतीक है।
समारोह में अन्य उपस्थित व्यक्तियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए, जिसमें प्रधानमंत्री द्वारा विद्यानंद महाराज के साथ बिताए गए समय का उल्लेख करना महत्वपूर्ण था।