क्या पंजाब में बेअदबी कानून पर सेलेक्ट कमेटी की पहली बैठक आज हो रही है?

सारांश
Key Takeaways
- पंजाब में बेअदबी कानून को सख्त बनाने के लिए सेलेक्ट कमेटी का गठन किया गया है।
- कमेटी को छह महीने में अपनी रिपोर्ट विधानसभा में पेश करनी है।
- बैठक में धार्मिक संगठनों और आम जनता के विचारों को शामिल किया जाएगा।
चंडीगढ़, 24 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले मामलों को रोकने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने बेअदबी कानून को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस विषय पर चर्चा और सुझावों के लिए गुरुवार को पंजाब विधानसभा में सुबह 11 बजे सेलेक्ट कमेटी की पहली बैठक आयोजित की जाएगी। इस कमेटी की अध्यक्षता विधायक डॉ. इंद्रबीर सिंह निज्जर करेंगे।
सेलेक्ट कमेटी को बेअदबी कानून के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने तथा इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का कार्य सौंपा गया है। कमेटी को अगले छह महीने में अपनी रिपोर्ट विधानसभा में पेश करनी होगी। सरकार का कहना है कि यह बैठक पंजाब में धार्मिक स्थलों और भावनाओं की सुरक्षा के लिए कानून को और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
पंजाब में पिछले कुछ वर्षों में बेअदबी की घटनाएं चर्चा में रही हैं, जिसके चलते जनता और विभिन्न संगठनों ने सख्त कानून की मांग की थी। 'आप' सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए सेलेक्ट कमेटी का गठन किया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, कमेटी में शामिल सदस्य विभिन्न दलों के विधायकों और विशेषज्ञों से मिलकर इस कानून को और मजबूत बनाने के लिए सुझाव देंगे। इस बैठक में धार्मिक संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम लोगों के विचारों को भी शामिल करने की योजना है।
यह ध्यान देने योग्य है कि बेअदबी कानून पंजाब में धार्मिक ग्रंथों और पवित्र प्रतीकों की बेअदबी को रोकने के लिए बनाया गया है। इसे पंजाब पवित्र ग्रंथ एक्ट 2025 के तहत लागू किया गया है। इस कानून का उद्देश्य गुरु ग्रंथ साहिब, कुरान, बाइबल और भगवद गीता जैसे प्रमुख धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी को रोकना और धार्मिक भावनाओं की रक्षा करना है।
इस कानून के तहत बेअदबी के लिए 10 साल तक की सजा और बार-बार अपराध या हिंसा/मृत्यु होने पर उम्रकैद का प्रावधान है। यह कानून जुलाई 2025 में पंजाब विधानसभा द्वारा पारित किया गया था और लागू हो चुका है। कानून को और प्रभावी बनाने के लिए एक सेलेक्ट कमेटी का गठन किया गया है, जो छह महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।