क्या पंजाब रोडवेज कर्मचारियों पर लाठीचार्ज करना उचित था?
सारांश
Key Takeaways
- हड़ताल के कारणों को समझना महत्वपूर्ण है।
- पुलिस की कार्रवाई ने सवाल उठाए हैं।
- कर्मचारियों की मांगें अनसुनी नहीं होनी चाहिए।
चंडीगढ़, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब रोडवेज के कर्मचारियों ने अपनी मांगों को नजरअंदाज किए जाने के खिलाफ शुक्रवार को हड़ताल का ऐलान किया। यह हड़ताल इतनी तेज हो गई कि कई कर्मचारी नजदीकी टंकियों पर चढ़ गए। पटियाला में हालात और ख़राब हो गए, जहाँ आउटसोर्स कर्मचारियों के विरोध पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और कई कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया। पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने इस घटना की कड़ी आलोचना की।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर एक वीडियो साझा करते हुए कहा कि रोडवेज कर्मचारियों पर हिंसा करना गलत है और सरकार को उनकी उचित मांगों को सुनना चाहिए, न कि उन्हें दबाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा, "आज मेरे एक साथी ने आत्महत्या करने की कोशिश की। मैं उनसे निवेदन करता हूं कि आत्महत्या करने की कोई आवश्यकता नहीं है। हमें लड़ाई जारी रखनी चाहिए। हम सभी आपके साथ हैं और मुझे विश्वास है कि हम पूरी ताकत से लड़ेंगे। मैं हमेशा आपके साथ रहूंगा।"
उन्होंने कहा कि संगरूर में पुलिस अधिकारियों द्वारा पत्रकारों पर किया गया हमला भी उतना ही शर्मनाक है। पत्रकारों पर इस तरह के हमले सरकार की लोकतांत्रिक मान्यताओं के प्रति सम्मान पर गंभीर प्रश्न उठाते हैं।
उन्होंने सरकार से अपील की कि पुलिस और प्रशासन कर्मचारियों के साथ आक्रामक व्यवहार न करें। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों का कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण है, वे दिन-रात बसों के माध्यम से लोगों की सेवा करते हैं। ऐसे में यह उचित नहीं है कि उन्हें मारपीट और डराने-धमकाने का सामना करना पड़े।
गौरतलब है कि इस हड़ताल का मुख्य कारण रोडवेज कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही मांगें हैं। मुख्य विवाद 'किलोमीटर स्कीम टेंडर' को लेकर है। इस स्कीम के तहत प्राइवेट बस ऑपरेटरों को रूट्स पर टेंडर दिए जा रहे हैं, जिससे कर्मचारियों का आरोप है कि रोडवेज की कमाई घट रही है और उनकी नौकरियां खतरे में पड़ गई हैं। इसके अतिरिक्त, वेतन वृद्धि, पेंशन, महंगाई भत्ता और ओवरटाइम भत्ते भी उनकी मांगों में शामिल हैं।