क्या बिहार के पूर्णिया हत्याकांड पर सुप्रियो भट्टाचार्य का तंज उचित है?

सारांश
Key Takeaways
- अंधविश्वास के चलते हत्या की घटनाएं चिंताजनक हैं।
- राजनीतिक दलों को जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
- कानून-व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है।
- समाज में सामाजिक जागरूकता बढ़ानी होगी।
- ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
रांची, 8 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के पूर्णिया में अंधविश्वास के चलते एक ही परिवार के पांच सदस्यों की निर्मम हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है। विपक्षी पार्टियां कानून-व्यवस्था को लेकर राज्य सरकार पर सवाल उठा रही हैं। इस मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने भाजपा पर निशाना साधा।
जेएमएम प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "जहां भी भाजपा की सरकार है, वहां आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा है। हमने इसे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और गुजरात में देखा है। बिहार में भी यही स्थिति है। बिहार की पूरी कानून-व्यवस्था भाजपा के नियंत्रण में है।"
उन्होंने कहा, "इतनी नृशंस हत्या शायद ही कभी सुनी होगी। एक जगह लोगों को मारा जाता है, दूसरी जगह जलाया जाता है और फिर तीसरी जगह शवों को फेंका जाता है। पूर्णिया पुलिस क्या कर रही थी? यह अचानक होने वाला मामला नहीं था। पुलिस को पहले से ही पता था कि ये घटनाएं घट रही थीं। 4-5 घंटे तक यह सब चलता रहा और बिहार की पुलिस भाजपा के कहने पर कंबल ओढ़ी रही। पहले वोटबंदी और अब वोटर्स की हत्या की जा रही है।"
यह उल्लेखनीय है कि बिहार के पूर्णिया जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के टेटगामा गांव में सोमवार को एक दिल दहला देने वाली घटना हुई, जहां अंधविश्वास के चलते एक ही परिवार के पांच व्यक्तियों की हत्या कर दी गई। परिवार के पांच सदस्यों को डायन के आरोप में पहले पीट-पीटकर मारा गया और फिर शवों पर तेल डालकर जला दिया गया।