क्या पुतिन को भगवद गीता भेंट करना धर्म है या संस्कृति का प्रतीक? - प्रवीण खंडेलवाल
सारांश
Key Takeaways
- भगवद गीता का उपहार संस्कृति का प्रतीक है।
- राजनीतिक बयानों के पीछे की राजनीति पर ध्यान देना चाहिए।
- इंडिगो एयरलाइन की समस्याओं पर मुआवजे की आवश्यकता है।
- ममता बनर्जी की राजनीति यूज-एंड-थ्रो वाली है।
- राजनीति का स्तर गिरने से समाज में भ्रम फैलता है।
नई दिल्ली, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रूस के राष्ट्रपति पुतिन को भेंट की गई भगवद गीता धर्म का प्रचार नहीं, बल्कि हमारी भारतीय संस्कृति और देश की अमूल्य धरोहर को प्रदर्शित करती है।
राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में खंडेलवाल ने पूर्व सांसद हन्नान मोल्लाह के बयान को पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि कुछ मामलों में राजनीति नहीं करनी चाहिए, लेकिन कुछ लोग हर हाल में सुर्खियों में बने रहने की कोशिश करते हैं।
गौरतलब है कि हन्नान मोल्लाह ने कहा था कि प्रधानमंत्री ने रूस के राष्ट्रपति को गीता भेंट करके देश को हिंदू राष्ट्र दिखाने की कोशिश की है।
इसके साथ ही, भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने इंडिगो एयरलाइन की हालिया समस्याओं पर भी चिंता जताई। खंडेलवाल ने कहा कि पिछले दो-तीन दिनों से इंडिगो की उड़ानों में गड़बड़ी के कारण लाखों यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। कई लोगों को रात एयरपोर्ट पर बितानी पड़ी। उन्होंने बताया कि डीजीसीए द्वारा जारी दिशा-निर्देश सही थे, लेकिन इंडिगो ने उनका पालन नहीं किया, जिससे यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
उन्होंने केंद्रीय नागर विमानन मंत्री राममोहन नायडू को पत्र भेजकर इंडिगो के सिस्टम की जांच और दोषियों को दंडित करने की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जो भी यात्रियों को नुकसान हुआ है, उन्हें उचित मुआवजा मिलना चाहिए, क्योंकि इससे लोगों को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक नुकसान हुआ।
खंडेलवाल ने टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस से निकाले जाने के बाद हुमायूं कबीर ने ममता बनर्जी पर आरोप लगाए हैं, लेकिन असल में ममता बनर्जी की राजनीति 'यूज-एंड-थ्रो' वाली है। उनका तरीका यह है कि जब लोग उनके अनुकूल होते हैं, तब उनका उपयोग करती हैं और जब हित सिद्ध नहीं होते, तो उन्हें छोड़ देती हैं।
खंडेलवाल ने कहा कि यह राजनीति का स्तर गिराता है, लेकिन इसे समझना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि ममता बनर्जी की यह शैली कई बार लोगों को भ्रमित करती है, लेकिन यह उनकी राजनीति का हिस्सा है।