क्या राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना सही निर्णय है?

सारांश
Key Takeaways
- एनडीए ने सी.पी. राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है।
- अशोक मोहंती ने इसे एक सही निर्णय बताया है।
- राधाकृष्णन की ओबीसी पृष्ठभूमि का महत्व है।
- विपक्ष को उनका समर्थन करना चाहिए।
- भाजपा ने राजनीतिक रणनीति में एक नया मोड़ लिया है।
नई दिल्ली, 18 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने उपराष्ट्रपति पद के लिए सी.पी. राधाकृष्णन का नामांकन किया है, जो महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। इस घोषणा से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और विधायक काफी उत्साहित हैं। भाजपा विधायक किशोर मोहंती ने राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने का निर्णय सकारात्मक बताया।
अशोक मोहंती ने कहा, "राधाकृष्णन एक अनुभवी राजनेता हैं और पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा अटूट है। वह सांसद रह चुके हैं और तमिलनाडु का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा के अनुयायी हैं। केंद्रीय मंत्री ने उपराष्ट्रपति पद के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार का चयन किया है।"
उनकी ओबीसी पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए विधायक ने कहा, "यह नामांकन ओबीसी समुदाय के प्रति एनडीए की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उनकी साफ-सुथरी छवि और विनम्रता को देखते हुए, विपक्ष को भी उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करना चाहिए।"
भाजपा विधायक किशोर मोहंती ने लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर वोट चोरी के आरोप लगाने की निंदा की। उन्होंने इसे निराधार और राजनीतिक प्रेरणा से प्रेरित बताया। "यदि कांग्रेस को उन राज्यों में भी वोट मिलते हैं जहां उसे हार का सामना करना पड़ता है, तो वह वहां वोट चोरी का आरोप क्यों नहीं लगाती?"
उन्होंने कहा, "राहुल गांधी यात्रा कर कर थक चुके हैं, और अब फिर यात्रा कर रहे हैं। वह ऐसे मुद्दे उठाते हैं जिनका कोई आधार नहीं होता। चुनाव आयोग ने उनके आरोपों का प्रमाण मांगा है, तो वह पीछे क्यों हट रहे हैं? उन्हें अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए।"