क्या रैन बसेरों, अलाव और कंबल वितरण की रियल-टाइम मॉनिटरिंग तेज हुई है?

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क्या रैन बसेरों, अलाव और कंबल वितरण की रियल-टाइम मॉनिटरिंग तेज हुई है?

सारांश

शीतलहर के मद्देनजर राहत आयुक्त ने रैन बसेरों और कंबल वितरण की निगरानी तेज कर दी है। अधिकारियों को 24 घंटे के भीतर लंबित कार्य पूर्ण करने की सख्त चेतावनी दी गई है। क्या यह कदम आम जनता की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा?

Key Takeaways

  • राहत आयुक्त ने रियल-टाइम निगरानी तेज की है।
  • 24 घंटे में लंबित कार्यों को पूरा करने का निर्देश।
  • रैन बसेरों में आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश।
  • किसानों को राहत राशि का समय पर वितरण।
  • आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में रिक्त पदों को भरने की आवश्यकता।

लखनऊ, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। शीतलहर के बढ़ते प्रभाव को ध्यान में रखते हुए राहत आयुक्त कार्यालय ने प्रदेशभर में रैन बसेरों, अलाव स्थलों और कंबल वितरण की रियल-टाइम निगरानी को तेज कर दिया है। कई जनपदों में जियो-टैगिंग और पोर्टल फीडिंग में देरी पर राहत आयुक्त डॉ. हृषिकेश भास्कर याशोद ने अधिकारियों को सख्त चेतावनी देते हुए 24 घंटे के भीतर सभी लंबित कार्य पूरा करने के निर्देश दिए हैं।

सचिव राजस्व एवं राहत आयुक्त डॉ. हृषिकेश भास्कर याशोद ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के सभी जनपदों के अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) के साथ राहत एवं आपदा प्रबंधन कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने शीतलहर से आमजन की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए कंबल क्रय, अलाव और रैन बसेरों की अद्यतन स्थिति तत्काल पोर्टल पर फीड करने के निर्देश दिए।

रिव्यू में पाया गया कि 40 जनपदों ने रैन बसेरों के लिए 278 स्थलों का चिन्हांकन कर लिया है, जबकि 35 जनपदों में यह कार्य अभी भी लंबित है। इसी प्रकार 1517 अलाव स्थलों का चिह्न 42 जनपदों में पूरा हो चुका है, जबकि 33 जनपदों में जियो-टैगिंग और फीडिंग की प्रक्रिया अधूरी है। राहत आयुक्त ने इस पर नाराजगी जताते हुए 24 घंटे में सभी डेटा पोर्टल पर अनिवार्य रूप से अपलोड कराने के निर्देश दिए।

उन्होंने बताया कि रैन बसेरों, अलाव और कंबल वितरण की रियल-टाइम मॉनिटरिंग के लिए एक विशेष ऐप विकसित किया गया है, जिसमें किसी भी स्थिति में डेटा अपलोड करना अनिवार्य है। उन्होंने रैन बसेरों में पर्याप्त रोशनी, साफ-सफाई, पेयजल, अलाव, कंबल, पुरुष-महिला के लिए अलग व्यवस्था और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम सुनिश्चित करने को कहा। फसल क्षति से संबंधित राहत वितरण की समीक्षा में गाजीपुर, महोबा, मिर्जापुर, उन्नाव, झांसी, बलिया, मथुरा, मुजफ्फरनगर, चंदौली, हरदोई, जालौन, आगरा और अमरोहा में लंबित मामलों पर कड़ी चेतावनी जारी की गई।

राहत आयुक्त ने निर्देश दिया कि किसानों को फसल क्षति पर 24 घंटे के भीतर राहत राशि अवश्य दी जाए, और जहां बजट की कमी हो, वहां तत्काल मांग भेजी जाए। विभिन्न आपदाओं से हुई जनहानि के लंबित मामलों पर बहराइच, हरदोई, सोनभद्र, प्रयागराज, उन्नाव, कासगंज, अमेठी, लखीमपुर खीरी, कानपुर नगर और कुशीनगर के अधिकारियों को भी तत्काल राहत वितरित करने के निर्देश दिए गए। मकान क्षति, पशुहानि और घायलों को भी समय पर राहत राशि जारी करने के आदेश दिए गए। इसके साथ ही उन्होंने जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में रिक्त पदों को तत्काल भरने, बाढ़ व भूकंप संवेदनशील जनपदों से मॉक एक्सरसाइज की उपयोगिता रिपोर्ट उपलब्ध कराने तथा आपदा मित्र परियोजना के लिए पोर्टल पर वालंटियर की जानकारी शीघ्र अपलोड करने के निर्देश दिए।

Point of View

विशेषकर जब शीतलहर की मार से आम जनता प्रभावित हो रही है। यह कदम न केवल राहत वितरण की प्रक्रिया को सुगम बनाएगा, बल्कि आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण है।
NationPress
10/12/2025

Frequently Asked Questions

रैन बसेरों की निगरानी का लक्ष्य क्या है?
रैन बसेरों की निगरानी का लक्ष्य आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करना और शीतलहर से प्रभावित लोगों को त्वरित राहत प्रदान करना है।
अधिकारियों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है?
अधिकारियों को जियो-टैगिंग और पोर्टल फीडिंग में देरी का सामना करना पड़ रहा है, जिसके लिए उन्हें सख्त चेतावनी दी गई है।
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