क्या राहुल गांधी का संवैधानिक संस्थाओं को निशाना बनाना खतरनाक है?
सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी की टिप्पणियाँ संवैधानिक संस्थाओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।
- रोहन गुप्ता ने इस पर चिंता जताई है।
- राजनीतिक दलों को अपनी जिम्मेदारियों का ध्यान रखना चाहिए।
- आतंकवाद से जुड़े मुद्दों पर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।
- राष्ट्रवादी मुसलमानों को अपनी छवि की रक्षा करनी चाहिए।
अहमदाबाद, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा नेता रोहन गुप्ता ने कहा है कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग को बदनाम करने वाली टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए यह स्पष्ट किया कि पिछले कुछ समय से राहुल गांधी देश की संवैधानिक संस्थाओं को निशाना बनाकर नकारात्मक राजनीति कर रहे हैं, जो बेहद खतरनाक है।
गुप्ता ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि इस देश में चुनाव हमेशा होते आए हैं। कभी कोई पार्टी जीतती है, तो कभी हारती है। आमतौर पर, हारने वाली पार्टी अपनी गलतियों पर आत्मचिंतन करती है, लेकिन यह पहली बार है जब हारने से पहले ही चुनाव आयोग पर दोषारोपण किया जा रहा है। यह वही राहुल गांधी हैं, जिन्होंने कर्नाटक में कहा था कि वोट चोरी हो गई, क्योंकि मतदाता सूची में गलत नाम हैं। जबकि बिहार में एसआईआर सफलतापूर्वक पूरा हुआ और 65 लाख मतदाता निकाले गए। ऐसे में विपक्षी दल कह रहे हैं कि ये लोग हमारे थे।
रोहन गुप्ता ने कांग्रेस सांसद इमरान मसूद के उस बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है, जिसमें मसूद ने आतंकी उमर को भटका हुआ नौजवान बताया है। उन्होंने कहा, "यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक है कि कुछ राजनीतिक दल इस मुद्दे से राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं। एक ओर वे कहते हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, और दूसरी ओर, कुछ नेता निर्दोष लोगों की हत्या करने वाले आतंकवादियों के कार्यों को सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें शर्म आनी चाहिए।"
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सांसद ने कल भी ऐसा ही बयान दिया था, और उससे पहले रॉबर्ट वाड्रा ने भी पहलगाम की घटना के दौरान कहा था कि ऐसे हमले इसलिए होते हैं क्योंकि मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है। यह कैसी राजनीति है? मुझे लगता है कि देश के राष्ट्रवादी मुसलमानों को इस पूरे मामले की आलोचना करनी चाहिए। ऐसे लोगों को समाज से बाहर निकाल देना चाहिए जो देश के मुसलमानों की छवि खराब कर रहे हैं।